Bureaucrats Magazine – Breaking News -केंद्रीय हिंदी संस्थान मार्ग, नगला बुढ़ी के ओम नगर की रहने वाली सुषमा सागर ने यूपीएससी की परीक्षा में 733 रैंक प्राप्त की है। सुषमा बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनकी पढ़ाई के लिए पिता का कड़ा संघर्ष रहा है।
डॉ. आंबेडकर, एपीजे अब्दुल कलाम को आदर्श मानने वाली सुषमा सागर ने यूपीएससी 2023 की परीक्षा पास की है। यूपीएससी के लिए यह उनका तीसरा प्रयास था। इससे पहले 2018 में वह यूपीपीएससी की परीक्षा भी उत्तीर्ण कर चुकी हैं। वर्तमान में राज्य कर विभाग में वे असिस्टेंट कमिश्नर के पद पर तैनात हैं। शुक्रवार को उन्होंने नवभारत टाइम्स ऑनलाइन की टीम से बातचीत की। सुषमा सागर के पिता न्याय विभाग में अर्दली के पद पर तैनात हैं। अपनी बेटी की इस कामयाबी पर उनके पिता की खुशी का ठिकाना नहीं है।
आईएएस बनीं सुषमा सागर एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखती हैं। सुषमा सागर का कहना है कि साल 2019 में उन्होंने यूपीएससी का प्रीलिम्स और मेन्स भी क्लियर कर लिया था, लेकिन इंटरव्यू के दौरान वे सफल नहीं हो सकीं। इसके बावजूद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपनी तैयारी को निरंतर जारी रखा। सुषमा सागर बताती हैं कि वे नौकरी के साथ अपने लिए 3 से 4 घंटे रोजाना पढ़ाई के लिए निकाल लेती थीं। यूपीएससी में सुषमा की 733वीं रैंक आई है।
डीईआई की टॉपर रही हैं सुषमा
केंद्रीय हिंदी संस्थान मार्ग नगला बुढ़ी ओम नगर की रहने वाली सुषमा सागर ने बताया कि वे दयालबाग इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की छात्रा रही हैं। दयालबाग के प्रेम विद्यालय से हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की है। बीएससी की पढ़ाई डीईआई से पूरी की हैं। दलालबाग यूनिवर्सिटी की वे टॉपर रही हैं। इसके बाद सिविल सर्विसेस की तैयारी के लिए दिल्ली चली गईं। दो साल की कड़ी मेहनत के बाद 2018 में पहले ही प्रयास में यूपीपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण कर पीसीएस अधिकारी बन गईं। वर्तमान में सुषमा सागर गाजियाबाद में पोस्टेड हैं।
महिलाओं के लिए करेंगी काम
सुषमा सागर का कहना है कि उनके पिता ने उनकी पढ़ाई के लिए कड़ा संघर्ष किया है। माता पिता का बहुत सपोर्ट मिला है। बड़ी बहन इंटर कालेज में प्रधानाचार्य है। सुषमा का कहना है कि सरकार की महिलाओं के लिए बहुत सी योजनाएं होती हैं, लेकिन उन्हें पता नहीं चल पाता है। सबसे पहले वे महिलाओं के स्तर को ऊंचा उठाने का प्रयास करेंगी और सरकार की योजनाओं से उन्हें जोड़ेंगी। आर्थिक तौर पर महिलाएं आत्मनिर्भर बने इसके लिए काम करेंगी। उनकी शिक्षा स्तर को बेहतर बनाने के लिए काम करेंगी।