एक साल में बदल दी गोरखपुर की तस्वीर,आईएएस गौरव सिंह सोगरवाल के कामों को जानकर आप भी करेंगे गर्व

महज एक साल के कार्यकाल में गोरखपुर जिले के ज्वाइंट मजिस्ट्रेट/एसडीएम सदर गौरव सिंह सोगरवाल अलग छाप छोड़ गए। आमजन की सुविधा के लिए कई अनूठी पहल करने वाले 2017 बैच के आईएएस गौरव सिंह सोगरवाल को अब शासन ने गोरखपुर मंडल के ही महराजगंज जिले में सीडीओ की जिम्मेदारी सौंपी है।

27 जनवरी 2020 को गोरखपुर जिले में एसडीएम सदर की जिम्मेदारी संभालते ही गौरव सिंह सोगरवाल ने अपनी जो प्राथमिकताएं गिनाईं थीं उसे अंजाम देने में अगले दिन से जुट गए। गोरखपुर पहल नाम से शुरू किए अभियान में उन्होंने शहर में करीब 80 एकड़ तो ग्रामीण क्षेत्रों में 350 एकड़ सरकारी जमीन से कब्जा हटाया। इनमें कई नजूल और सीलिंग की जमीन थी जिसपर सालों से कई प्रभावशाली लोगों का कब्जा था।

सोगरवाल ने दो दशक से अधिक समय से लंबित ताल सुमेर सागर की करीब 12 एकड़ जमीन भी कब्जामुक्त कराकर उसे फिर से ताल का स्वरूप दिया। गिनती के कुछ लोगों के काबिज रह गए हैं। 22 फरवरी को इन मामलों को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट का कहना है कि यह फाइनल सुनवाई होगी और आदेश भी ऐतिहासिक आने की उम्मीद है। कोर्ट का यह आदेश नजीर बन सकता है, जिससे अन्य ताल-पोखरों पर से भी कब्जा हटाने की राह आसान होगी। उन्होंने बताया कि सुनवाई के संबंध में उन्होंने प्रशासन की तरफ से प्रतिशपथ पत्र समेत सभी जरूरी दस्तावेज कोर्ट को उपलब्ध करा दिए हैं।

वहीं असुरन पोखरे की जितनी जमीन कब्जा हुई है, उसके बराबर सरकार को जमीन उपलब्ध कराने की भी ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ने राह आसान कर दी है। ताल की जमीन बेचने वाले परिवार ने छह जगहों पर जमीन का प्रस्ताव दिया है। प्रशासन ने सक्रियता बनाए रखी तो जल्द ही जमीन सरकार के नाम हो जाएगी।

गोरखपुर के नए नगर आयुक्त बने गौरव सिंह सोगरवाल, कोरोना काल में बेहतर कार्यों से जीत चुके हैं शहरवासियों का दिल

एसडीएम सदर गौरव सिंह सोगरवाल ने लॉकडाउन के बीच लोगों के घरों तक राशन, सब्जी, दूध आदि जरूरी सेवाएं समय और सुचारू रुप से पहुंच सके इसलिए खुद पहल कर नौ ऑनलाइन डिलीवरी पोर्टल की शुरुआत कराई। लोगों पर भार न पड़े इसलिए डिलीवरी चार्ज भी खत्म कराया। उनके इस काम को पीएमओ तक से सराहना मिली। लोगों को घर बैठे जरूरत के सारे सामान मिल गए।

इस कार्य के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय से मिल चुकी है प्रशंसा

गौरव सिंह सोगरवाल 2017 बैच के आइएएस अधिकारी हैं। अपने बैच में उन्होंने हिंदी माध्यम से टाप किया था। बचपन से ही संघर्षों का सामना करने वाले सोगरवाल ने गोरखपुर में एसडीएम सदर/ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के रूप में उल्लेखनीय काम किया। कोरोना काल में खाद्यान्न सामग्री की होम डिलिवरी का उनका प्रयोग खूब सराहा गया। प्रधानमंत्री कार्यालय से भी उन्हें प्रशंसा मिल चुकी है।

पत्नी अनुज मलिक भी हैं IAS अधिकारी

गौरव सिंह की पत्नी अनुज मलिक भी उन्हीं के बैच की आइएएस अधिकारी हैं। वर्तमान में गोरखपुर में ही अपर आयुक्त एवं संभागीय खाद्य नियंत्रक के रूप में कार्यरत हैं

गौरव की पत्नी अनुज मलिक भी आईएएस हैं और गोरखपुर में ही सहजनवां एसडीएम की जिम्मेदारी संभालने के बाद वर्तमान में खजनी में एसडीएम हैं। लॉकडाउन के दौरान उन्होंने स्वयं सेवी संस्थाओं के साथ मिलकर तहसील क्षेत्र के हर गरीब तक खाने के पैकेट और खाद्यान्न सामग्री पहुंचाने में जुटी रहीं। सुबह-शाम हाईवे पर पेट्रोलिंग के साथ ही रेलवे स्टेशन, प्रमुख चौराहों का निरीक्षण कर यह सुनिश्चित करती हैं कि कोई गरीब बिना खाए-पीए तो नहीं है। जल्द ही उन्हें भी नई जिम्मेदारी मिलने की उम्मीद है।

]

गौरव की माता उनके बचपन में ही गुजर गई थी और जब गौरव 14 साल के हुए तो उनके पिता का निधन हो गया इसके बाद से पूरे घर की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई थी

ट्यूशन पढ़ाकर बहन की शादी की और तीन बार असफल होने के बाद हासिल किया अपना IAS बनने का सपना

इंसान जब भी किसी मुकाम को पाने की कोशिश करता है और उसकी मंजिल में कोई ना कोई रुकावट आ जाती है तो हम इसका सीधा दोष भगवान को देते है और मन मार कर बैठ जाते है. लेकिन दोस्तों इस संसार में कई ऐसे भी लोग है जो अपनी मंजिल को पाने के लिए कुछ कर गुजरते है। फिर उनके सामने कितनी भी मुश्किलें क्यों ना हो। दोस्तों आज हम ऐसे ही इंसान  की बात करने जा रहे है जिसने अपनी मेहनत से पूरी दुनिया को चौंका दिया बचपन में काफी परेशानियो का सामना करना पड़ा गौरव जब 3 साल के थे तब उनकी माँ का देहांत हो गया था बचपन उनका पिता के हाथो में ही गुजरा फिर साल 1997 में गौरव के पिता ने दूसरा विवाह कर लिया और जब गौरव 14 साल के हुए तब उनके पिता का साया भी गौरव के सिर से उठ गया फ़िलहाल गौरव के परिवार में उसकी सौतेली माँ और 2 भाई -बहन है। दोस्तों इस तरह के मुश्किलों को देखने के बाद भी  गौरव ने हार  नही मानी|

राजस्थान के भरतपुर जिले के गौरव ने अपने घर की आर्थिक स्थिति सही नहीं होने के कारण एक कोचिंग सेंटर में पढ़ा कर अपनी पढ़ाई पूर्ण की कई कोचिंग सेंटर पर जा कर कोचिंग करा कर अपनी बहन की शादी और भाई को MBA की पढ़ाई करवाई। दोस्तों गौरव का बचपन से एक ही सपना था की IAS बनाना । और इस सपने के साथ अपने गांव को छोड़ पढ़ाई के लिए दिल्ली चले गए और वहां गौरव ने पाणिनि क्लासेज से संस्कृत का विषय ले कर IAS की तैयारी में लग गए दोस्तों संस्कृत का विषय में IAS बनाना गौरव के लिए एक कठिन रास्ता था।

सीएम सिटी के इस आईएएस के कामों को जानकर आप भी करेंगे गर्व, एक साल में बदल दी गोरखपुर की तस्वीर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *