Bureaucrats Magazine – Breaking News : यह कहानी राजस्थान के एक छोटे से गांव में पले-बढ़े उस लड़के की है जिसने दो दर्जन से ज्यादा बार भर्ती परीक्षाओं में असफलता का स्वाद चखा, लेकिन हार नहीं मानी। आज वह IPS…
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#Bureaucratsmag : यह कहानी राजस्थान के एक छोटे से गांव में पले-बढ़े उस लड़के की है जिसने दो दर्जन से ज्यादा बार भर्ती परीक्षाओं में असफलता का स्वाद चखा, लेकिन हार नहीं मानी। और फिर आखिरकार यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास कर आईपीएस अफसर बना। यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2018 ( UPSC CSE IAS IPS ) में 630वीं रैंक हासिल करने वाले आदित्य की स्कूलिंग गांव के एक हिंदी मीडियम से स्कूल से हुई। 12वीं में 67 फीसदी अंक आए और फिर बीए किया।
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आदित्य की कहानी आज कई-कई सालों से यूपीएससी की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के लिए बेहतरीन मिसाल है। आदित्य पहले प्रयास में प्रीलिम्स नहीं पास कर सकेंगे। दूसरे प्रयास में इंटरव्यू तक पहुंचे लेकिन चयन नहीं हो पाया। इसके बाद तीसरे प्रयास में मेन्स में फेल हो गए। चौथे प्रयास में आखिरकार वह सफल हो गए। ग्रेजुएशन के बाद पांच सालों के दौरान उन्होंने कई भर्ती परीक्षाएं दीं। करीब 30 परीक्षाओं में वह फेल हो गए।
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आईपीएस ऑफिसर आदित्य की कहानी यूपीएससी की तैयारी कर रहे लाखों अभ्यर्थियों को सीख देती है कि असफलता से मिलने वाला अनुभव ही कामयाबी की राह खोलता है। स्कूल और कॉलेज में वह हिन्दी मीडियम के छात्र रहे। 2013 में यूपीएससी की तैयारी के लिए वह दिल्ली आ गए।
सरकारी शिक्षक दंपति के बेटे आदित्य की स्कूली शिक्षा 8वीं क्लास तक राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में स्थित उनके गांव के स्कूल से ही हुई। इसके बाद उन्होंने भदरा जिला मुख्यालय स्कूल से अपनी स्कूलिंग पूरी की।
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दो दर्जन से ज्यादा भर्ती परीक्षाओं में आदित्य को असलफता हाथ लगी लेकिन इन नाकामियों ने उन्हें और मजबूत बनाया। वह कहते हैं, ‘फेल होने के बाद मुझे झटका जरूर लगता था, हतोत्साहित होता था, सोचता था कि छोड़ दूं। लेकिन मैंने अनावश्यक सामाजिक दबाव और नकारात्मकता से दूर रहने का फैसला किया। मैं हर प्रयास से प्रोत्साहित होता था। अगले एग्जाम में अच्छा करने का लक्ष्य रखता था। सोचता था – अपना टाइम आएगा।’
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टिप्स देते हुए आदित्य ने कहा, ‘उत्तर लिखने का अभ्यास करना सबसे आसान और सबसे सफल फॉर्मूलों से एक है। यह न केवल लिखने की गति में सुधार करता है बल्कि उत्तरों को बेहतर ढंग से लिखने में भी मदद करता है। यदि आप हर दिन लिखते हैं, तो आप निरंतरता पर पकड़ बना लेंगे। निबंध लिखने के लिए कुछ समय दें। इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं।
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आदित्य ने कहा- दिन के छोटे लक्ष्य बनाएं और उन्हें पूरा करें। दिन में क्वालिटी व एकाग्रता के साथ सात – आठ घंटे पढ़ाई को देना काफी रहता है। ब्रेक लेना जरूरी है। इससे आप फोकस रहेंगे।”
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आदित्य के मुताबिक बहुत ज्यादा किताबें, वेबसाइट्स, कोचिंग सेंटर और किताबों की मदद लेना ठीक नहीं। सब कुछ पढ़ने की बजाय अपना स्टडी मैटिरियल सीमित रखें। 50 किताबें एक बार पढ़ने की बजाय, एक किताब 50 बार पढ़ें।’