Bureaucrats Magazine – Breaking News – प्रतिवर्ष संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के सिविल सर्विस एग्जाम (IAS Success Story) में लाखों उम्मीदवार शामिल होते हैं, लेकिन सफलता का 0.2 प्रतिशत बहुत कम होता है। इनमें से ज्यादातर ऐसे विद्यार्थी होते हैं, जो कोचिंग पर लाखों रुपये खर्च देते हैं, लेकिन इसके बाद भी उन्हें सफलता नहीं मिल पाती है। (UPSC Exam) आज ऐसे ही बात करते है UPSC सिविल सेवा परीक्षा 2021 के सफल उम्मीदवार आईएएस अनिल बसाक की जिन्होंने बिना कोचिंग के सिविल सेवा परीक्षा पास कर IAS बन गए। आइए जानते है की अनिल बसाक की कामयाबी की कहानी क्या रही है।
अगर आप में संघर्ष करने का जज्बा रखते है, तो कोई भी शिखर कठिन नहीं होगा। बिहार के अनिल बसाक ने इस बात को 100% सच कर दिया है। लगातार संघर्ष और निरंतरता की बदौलत उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में 45वीं रैंक हासिक की है। अब वे प्रशासनिक अधिकारी बन चुके हैं, IAS Success Story लेकिन उनके इस संघर्ष की कहानी बड़ी ही दिलचस्प रही है।
अनिल बसाक की जीवनी (Anil Basak IAS Biography)
- नाम-अनिल बसाक
- पिता- बिनोद बसाक
- माता-मंजू देवी
- जन्म-2 अगस्त 1995
- वर्तमान पता– नेपालगढ़ कॉलोनी किशनगंज बिहार
- यूपीएससी 2020 में रैंक 45
- 8वीं-ओरिएंटल पब्लिक स्कूल किशनगंज से
- 10वीं- अररिया पब्लिक स्कूल से
- 12वीं- बाल मंदिर किशनगंज से
- 2014 में आईआईटी में चयन
- 2018 में आईआईटी दिल्ली से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की
अनिल का परिचय (IAS Success Story)
अनिल मूलरूप से बिहार के किशनगंज के रहने वाला एक आम व्यक्ति हैं। (UPSC Result) अनिल ने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी होने के बाद जेईई मेंस की तैयारी की और इसके बाद एडवांस परीक्षा देकर उन्होंने आईआईटी दिल्ली में सिविल इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया। अनिल अपने चार भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर हैं। उनके पिता (बिनोद बसाक) गांव-गांव घूमकर कपड़े बेचते हैं। ऐसे में जो भी आय होती, वो घर चलाने में खर्च हो जाती थीं।
अनिल को जो कुछ करना था। वह खुद की काबिलियत और अपने दम पर ही करना था। पहले अनिल ने गांव से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और जी-तोड़ मेहनत कर 2014 में आईआईटी (IIT) दिल्ली में दाखिला ले लिया और सिविल इंजीनियिरंग की पढ़ाई की।
Clearing UPSC in First Attempt While Working
बच्चों की सफलता माता-पिता का कद ऊंचा कर देती है। IAS Success Story ये कामयाबी तब और खास हो जाती है जब बच्चा गरीबी से संघर्ष करते हुए भी अपने सपने को सच कर दे। अनिल बसाक एक ऐसे ही व्यक्ति हैं जिन्होंने IAS बनकर खुद की और अपने परिवार की जिंदगी को संवार दिया। उनकी सफलता की कहानी मुश्किल हालातों से मुकाबला कर अपने लक्ष्य तक पहुंचने हौसला देती है। हाल ही, UPSC (लोक संघ सेवा आयोग) के परिणाम घोषित हुए, जिनमें अनिल 45वीं रैंक के साथ सफल हुए। अब वो ‘भारतीय प्रशासनिक सेवा’ अधिकारी बन चुके हैं। लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए अनिल और उनके परिवार ने कड़ी मेहनत की है।
परिवार की आर्थिक हालत IAS Success Stories of Below Average Students
बिहार के किशनगंज के रहने वाले अनिल ने अपने शुरुआती जीवन में ढेरों संघर्ष का समाना किया, उन्होंने एक ऐसा समय भी देखा, जब उनके पिता विनोद बसाक गांव-गांव घूमकर कपड़े बेचा करते थे। IAS Success Story अनिल ने अपने परिवार की आर्थिक हालत सुधारने के लिए दिन-रात मेहनत कर की परीक्षा की तैयारी में जुट गए।
पहली बार में प्री भी पास नहीं हुई
12वीं के बाद अनिल का आईआईटी जेई में चयन हो गया था। ऐसे में दिल्ली आ गए। यहां पर आईआईटी के साथ-साथ इनका रुझान यूपीएससी की तैयारी की ओर हुआ। साल 2016–17 तक अनिल ने दिल्ली में विजन आईएएस और साल 2017-18 में आईएमएस से कोचिंग की और यूपीएससी परीक्षा 2018 में भाग्य आजमाया। IAS Success Story पहली बार में प्री भी पास नहीं कर पाए।
दूसरे प्रयास में आई 616वीं रैंक
साल 2016 से अनिल, यूपीएससी की तैयारी करने लगे। यहां तक 2018 में इंजीनियरिंग करने के बाद उनके पास नौकरी का विकल्प था, पर उन्होंने यूपीएससी को ही अपना भविष्य बना लिया। हालांकि, पहले अटेम्प्ट उन्हें कामयाबी नहीं मिली। IAS Success Story निराशा ने घेर लिया। अनिल फिर खड़े हुए और जी-जान से पढ़ाई की। दूसरे प्रयास में उन्हें 616वीं रैंक मिली। परिवार और गांव में जश्न मना लेकिन अनिल संतुष्ट नहीं थे क्योंकि सपना IAS बनना था।
कोचिंग के पेपर बनाकर निकाला पढ़ाई का खर्च
अनिल बसाक कहते हैं कि इन्होंने वो दौर भी देखा है जब पाई-पाई के लिए मोहताज होना पड़ता था। (upsc success stories of working professionals) दिल्ली में कोचिंग के दौरान दस हजार रुपए में कोचिंग का पेपर तैयार करके खर्च निकालते थे। इसके अलावा अनिल बसाक को विभिन्न तरह की छात्रवृत्ति से करीब पांच लाख रुपए की आर्थिक मदद मिली। IAS Success Story अनिल आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए कॉलेज साथियों से भी रुपए उधार लिया करते थे। इस तरह उन्होंने अपनी जिंदगी में काफ़ी संघर्ष कर बने IAS अधिकारी।
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जब अचीव कर लिया लक्ष्य
दूसरी सफलता के बाद अनिल के ऊपर घर की जिम्मेदारियों को संभालने के लिए वो बतौर आयकर आयुक्त काम करने लगे। लेकिन सपना तो सपना होता है, जिसे अचीव करना कुछ लोगों का जुनून होता है। अनिल में भी कुछ उसी तरह का जुनून था। इसलिए उन्होंने काम से छुट्टी ली और एक बार फिर यूपीएससी की तैयारी में जुट गए। IAS Success Story इस बार किस्मत और मेहनत रंग लाई और 45वीं रैंक के साथ वो अपने ख्वाब को सच करने में सफल रहे।
माता-पिता को देते हैं सफलता का श्रेय
अनिल अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता का देते हैं। एक मीडिया को दिए गए साक्षात्कार में अनिल ने छात्रों को भी सुझाव दिया है कि अपने लक्ष्य तय करें और उस लक्ष्य को पाने के लिए निरंतर प्रयास करते रहें। IAS Success Story लगातार प्रयास करने से सफलता प्राप्त की जा सकती है।