Bureaucrats Magazine – Breaking News – भारत की पहली महिला IFS, जिन्हें शादी न करने की शर्त पर मिली थी नौकरी………………..
Bureaucrats Magazine –देश की पहली महिला आईपीएस के बारे में तो हम सब जानते हैं. लेकिन क्या यह जानते हैं कि देश की पहली महिला आईसीएस और पहली आईएफएस अधिकारी कौन थीं ? आज आपकी मुलाकात देश की पहली महिला आईएफएस अधिकारी से करा रहे हैं. जो आगे चलकर देश की पहली महिला हाई कमिश्नर भी बनीं….
Bureaucrats Magazine –भारतीय महिलाएं साइंस से लेकर स्पेस और सेना सहित सभी क्षेत्रों में झंडे गाड़ रही हैं. आज आपकी मुलाकत एक ऐसी शख्सियत से करा रहे हैं, जो देश की पहली महिला आईसीएस, पहली विदेश सेवा अधिकारी (IFS) और पहली महिला डिप्लोमेट थीं. उन्होंने इंडियन सिविल सर्विस में जेंडर इक्वलिटी के लिए संघर्ष किया और इसे लागू कराने में अहम योगदान दिया.
–
Bureaucrats Magazine –भारत की पहली महिला आईएफएस का नाम चोनिरा बेलियप्पा मुथम्मा था. जिन्हें लोग प्यार से ‘मुथु’ या लीजेंड मुथम्मा कहा करते थे. उन्होंने साल 1948 में सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक इंडियन सिविल सर्विस एग्जाम क्लीयर किया था. इसके बाद साल 1949 में भारतीय विदेश सेवा ज्वाइन करके देश की पहली महिला आईएफएस अधिकारी बनी थीं. ‘लीजेंड मुथम्मा’ आगे चलकर देश की पहली महिला राजदूत/हाई कमिश्नर भी बनीं.
Bureaucrats Magazine -कम उम्र में हो गया था पिता का निधन
Bureaucrats Magazine –मुथम्मा का जन्म 24 जनवरी 2024 को कर्नाटक के विराजपेट में हुआ था. उनके पिता एक फॉरेस्ट ऑफिसर थे. जिनका निधन बेहद कम उम्र में ही हो गई थी. उन्होंने अपने और महिलाओं के अधिकारों के लिए लंबा संघर्ष किया.
सीबी मुथम्मा की स्कूलिंग सेंट जोसेफ गर्ल्स स्कूल, मादिकेरी से हुई. इसके बाद उन्होंने वुमेन्स क्रिश्चियन कॉलेज, चेन्नई से ग्रेजुएशन और प्रेसिडेंसी कॉलेज, चेन्नई से इंग्लिश लिटरेचर में एमए किया था. पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने इंडियन सिविल सर्विस एग्जाम देने का फैसला किया.
Bureaucrats Magazine -देश की पहली महिला राजदूत बनीं
मुथम्मा ने आईएफएस अधिकारी के रूप में दुनिया के कई देशों में मौजूद भातर के दूतावास में काम किया. साल 1970 में उन्हें हंगरी में हाई कमिश्नर के पद पर नियुक्त किया गया. भारत के राजदूत के रूप में उनकी आखिरी नियुक्ति हेग, नीदरलैंड में हुई थी.
Bureaucrats Magazine -इंटरव्यू में बोर्ड मेंबर ने किया था हतोत्साहित
मुथम्मा ने अपने अधिकारों के लिए जीवन भर संघर्ष किया. यहां तक कि आईसीएस के इंटरव्यू में भी एक बोर्ड मेंबर ने उन्हें आईएफएस में जाने को लेकर हतोत्साहित किया था. लेकिन वह अपने फैसले पर कायम रहीं और लिस्ट में टॉप करके खुद को साबित किया. उन्होंने जब आईएफएस ज्वाइन किया तो उनसे इस अंडरटेकिंग पर साइन भी कराया गया कि शादी करने के बाद वह रिजाइन कर देंगी