भदोही जनपद सृजन से अब तक 42 जिलाधिकारी की तैनाती की जा चुकी है। इसमें अधिसंख्य आइएएस को जिले में पहली बार डीएम बनाया गया है। गौरांग राठी भदोही के 43 वें जिलाधिकारी के रूप में कमान संभालेंगे।
जनपद सृजन से अब तक 42 जिलाधिकारी की तैनाती की जा चुकी है। इसमें अधिसंख्य आइएएस को जिले में पहली बार डीएम बनाया गया है। गौरांग राठी भदोही के 43 वें जिलाधिकारी के रूप में कमान संभालेंगे। इसके पहले वह वाराणसी में नगर आयुक्त और अलीगढ़ विकास प्राधिकरण में उपाध्यक्ष पद पर तैनात रह चुके हैं।
वाराणसी जनपद से 30 जनू 1994 में जनपद भदोही को अलग किया गया था। अभी तक जितने आइएएस की यहां पर तैनाती हुई है उसमें अधिसंख्य लोग पहली बार डीएम बने हैं। गौरांग राठी को भी पहली बार जिले की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके पहले आर्यका अखौरी, राजेद्र प्रसाद, सुरेश कुमार, प्रकाश बिंदु, विशाख जी, आशीष गोयल, भोलानाथ मिश्र सहित 12 से अधिक आइएएस ऐसे थे जिन्हें भदोही का पहला डीएम बनाया गया था। यहां पर एक वर्ष काम करने के बाद उन्हें अन्य बड़े जिले का डीएम बनाया जाता है। विशाख जी और सुरेंद्र सिंह को वाराणसी, कानपुर सरीखे कई जिलों की जिम्मेदारी दी गई।
आर्यका अखौरी को भी गाजीपुर का डीएम बनाया गया। गौरांग राठी आइआइटी करने के बाद सिविल सर्विस की तैयारी किए और आइएएस बन गए। उनके पिता राजवीर सिंह राठी की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। चारों भाई और बहन को मां राजकुमारी पढ़ाया। उनकी तपस्या का फल यह रहा कि बेटा आइएएस बनकर देश की सेवा कर रहा है। अलीगढ़ विकास प्राधिकरण में उपाध्यक्ष के बाद पहली बार जिले की प्रशासनिक अधिकारी बनेंगे। उनके सामने अनगिनत चुनौतियां होंगी। शासन की योजनाओं को अंतिम पंक्ति में बैठे लोगों तक पहंचाना ही उनकी पहली प्राथमिकता होगी। उनका नाम तेज तर्रार आइएएस में लिया जाता है। नगर में कार्रवाई को लेकर वह हर समय सुर्खियों में रहे हैं।