किसान के बेटे अनुभव सिंह ने किया कमाल, छोटे से गांव से निकलकर मात्र दूसरे प्रयास में बन गए IAS ऑफिसर

जब भी UPSC का रिजल्ट आता है हमें बहुत सारे ऐसे उदाहरण देखने को मिलते हैं जिनमें से कुछ ने घोर ग़रीबी देखी होती है तो किसी संपन्नता के बाद भी अपने लक्ष्य के लिए सुख-सुविधाओं का त्याग कर दिया होता है। कोई पहले प्रयास में ही सफल हो जाता है तो किसी को लंबा इंतज़ार करना पड़ता है। इस कहानी के माध्यम से आज हम आपका परिचय ऐसे ही एक इंसान से करवाने जा रहे हैं जिसने मात्र 23 वर्ष की उम्र में अपने दूसरे प्रयास में UPSC के परीक्षा को 8वें रैंक के साथ टॉप कर लिया है।

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के प्रयागराज (Prayagraj) में एक छोटे से गाँव में जन्म लेने वाले अनुभव सिंह (Anubhav Singh) के पिता एक किसान हैं तो वहीं माता एक सरकारी स्कूल की क्लर्क हैं। कुल मिलाकर यह बोला जा सकता है कि अनुभव सिंह एक बेहद साधारण परिवार से आते हैं।

अनुभव ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा हंडिया तहसील के एक छोटे से गाँव दसेर से पूरी की है। इलाहाबाद शहर के एक स्कूल से हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के बाद उन्होंने आईआईटी की प्रवेश परीक्षा दी जिसमें इनका चयन आईआईटी रुडक़ी में हो गया। यहाँ से उन्होंने सिविल इंजिनियरिंग में बीटेक की पढ़ाई की। इंजीनियरिंग के बाद उन्होंने यूपीएससी को अपना टारगेट बनाया। गौरतलब हो कि सिविल सेवा में जाना उनका दसवीं क्लास का ही लक्ष्य रहा था।

अनुभव ने अपने पहले ही प्रयास में सिविल सेवा परीक्षा क्रैक की और 683 रैंक के साथ सफलता हासिल की थी। रैंक कम होने की वज़ह से उनका चयन भारतीय राजस्व सेवा में हो गया परंतु इससे वह कहाँ संतुष्ट होने वाले थे उन्होंने ठान रखा था कि वह आईएस बन कर ही रहेंगे और इसके लिए अपनी तैयारी जारी रखी।

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परिणाम यह रहा कि 2017 में अपने दूसरे प्रयास में उन्होंने अपने सपने को काफ़ी अच्छे रैंक के साथ पूरा कर लिया। इस परीक्षा में उनका रैंक 8वां था। इसी के साथ 23 वर्ष की उम्र में उन्होंने वह मुकाम हासिल कर लिया जिसे पूरा करने में लोगों की पूरी उम्र निकल जाती है।

अनुभव के सफलता के मंत्र

UPSC परीक्षा के तीन भाग होते हैं- प्री, मेन्स और इंटरव्यू। तीनों की तैयारी ठीक से कर और जब परीक्षा पास आए पहले उस पर ध्यान दिया जाए तो इसमें बात बन सकती है। सफलता के लिए बताए गए उनके कुछ टिप्स हम आपके साथ साझा कर रहे हैं जिसे उन्होंने अपनी तैयारी के दौरान फॉलो की थी।

NCRT की किताबों विशेष ध्यान

अनुभव बताते हैं यूपीएससी का सिलेबस ठीक से देखने के बाद आवश्यकता अनुसार किताबों का चयन करें। वह इसके लिए एनसीईआरटी की किताबों को पढ़ने पर खासा ज़ोर देते हैं। वे कहते हैं कि इन किताबों को अच्छे से पढ़ें और बार-बार रिवाइज करें। हालांकि यह बात वे हर बुक के लिए कहते हैं कि जो भी किताबें चुनें उन्हें बार-बार पढ़ें, इतना की उसमें लिखी हर बात पक्की हो जाए और परीक्षा के समय कोई समस्या न आए।

मेन्स के लिए ज्वॉइन करें टेस्ट सीरीज

प्री के बाद मेन्स पर आते हुए अनुभव कहते हैं कि पहले सिलेबस के अनुसार डिटेल में तैयारी कर लें। उसके बाद जब तैयारी एक सर्टेन लेवल पर पहुँच जाए तो टेस्ट सीरीज ज्वॉइन करके अपने आप को परखें। हालांकि अनुभव बहुत ज़्यादा टेस्ट सीरीज ज्वॉइन करने की सलाह नहीं देते। उनके अनुसार दस से बारह टेस्ट सीरीज ही काफ़ी हैं क्योंकि इससे ज़्यादा टेस्ट सीरीज हल करने से पूरा समय इन्हीं में चला जाता है और बाक़ी तैयारी के लिए समय नहीं बचता। उनके हिसाब से रेग्यूलर पढ़ाई भी बहुत ज़रूरी है, इसलिए इतनी प्रैक्टिस कर लें की परीक्षा का पैटर्न पता चल जाए।

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ऐस्से पर दें ध्यान और ऑप्शनल चुनें सावधानी से

बातचीत के क्रम में आगे बढ़ते हुए अनुभव कहते हैं कि मेन्स परीक्षा के बाक़ी विषयों के साथ ही ऐस्से पर पूरा ध्यान दें और इसे हल्के में न लें। इसके लिए भी प्रैक्टिस सबसे अधिक ज़रूरी है। कुछ ऐस्से लिखकर देख लें ताकि परीक्षा के दिन दिक्कत न हो। अगली मुख्य बात आती है ऑप्शनल चूज करने की, जिसके लिए वह इसका चुनाव सोच-समझकर कर करने को कहते हैं। उनका ऑप्शनल मैथ्स था और उन्होंने इसमें बहुत ही अच्छा स्कोर किया। वे कहते हैं कि ऑप्शनल में रुचि होने के साथ ही यह भी देख लें कि उस विषय में अंक मिलते हैं या नहीं तभी उसका चुनाव करें।

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एक किताब को एक बार नहीं बार-बार पढ़ें और ख़ूब अभ्यास करें। अपनी स्ट्रेटजी अपने अनुसार बनाएँ और रूटीन को लेकर सख्त रहें। जितने भी घंटे पढ़ें मन लगाकर पढ़ें और परीक्षा को हर स्तर पर समझने के बाद तैयारी शुरू करें ताकि एंड में कहीं कोई हिस्सा कंफ्यूजन की वज़ह से न छूट जाए।

साल 2016 में 683 रैंक लाने वाले अनुभव ने साल 2017 में छलांग लगाकर सीधे 8वीं रैंक पायी जोकि आसान नहीं था। परंतु कठिन मेहनत, निरंतरता और सही दिशा में प्रयास करने से कोई भी कठिन काम आसान बनाया जा सकता है और-और इसका उदाहरण स्वयं अनुभव हीं हैं।

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