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मनचलों और शोहदों के छक्के छुड़ाने की वजह से यूपी में मशहूर हुई लेडी सिंघम रवीना त्यागी ने अब कानपुर एसपी साउथ का चार्ज संभाल लिया है। फिल्म दबंग के चुलबुल पांडेय जैसा रौब रखने वाली इस लेडी पुलिस अॉफिसर ने अपने काम की बदौलत कम समय में ही बड़ा नाम कमाया है। आइए जानते हैं एसपी साउथ रवीना के बारे में ये बातें..
इनके पर्सनल जिंदगी की बात करें तो रवीना त्यागी का जन्म भोपाल में 11 नवंबर 1987 को हुआ था। महर्षि विद्या मंदिर से पढ़ाई की। 12वीं पास करने के बाद जेपी इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फार्मेशन एंड टेक्नोलॉजी, नोएडा से बीटेक किया। इसके बाद सिविल सर्विसेज की तैयारी की।
International Women’s Day: जानें कौन हैं IPS Raveena Tyagi, जिन्होंने छुड़ाए मनचलों के छक्के
आपने अक्सर लोगों को कहते सुना होगा कि लड़की जब खुद कदम उठाएगी तभी उसे परेशान करने वाले सुधर सकते हैं… इस बात को साबित किया यूपी की आईपीएस रवीना त्यागी ने। जिन्होंने आम महिलाओं और लड़कियों को न सिर्फ आत्मरक्षा के लिए प्रेरित किया बल्कि खुद भी अभियान चलाकर मनचलों के छक्के छुड़ा दिए। आईपीएस रवीना त्यागी इस वक्त कानपुर कमिश्नरेट में एएसपी के पद पर तैनात हैं। फिल्म दबंग के चुलबुल पांडेय जैसा रौब रखने वाली इस लेडी पुलिस अफसर ने अपने काम की बदौलत कम समय में ही बड़ा नाम कमाया है। आइए इनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ बातें आपको बताते हैं।
ट्रेनिंग के वक्त ही शुरू किए थे कई अभियान
जानकारी के मुताबिक, जिस वक्त रवीना त्यागी ट्रेनी थीं, तो उन्होंने देखा था कि मनचलों और शोहदों से लड़कियों को काफी परेशानी होती है। उस वक्त युवकों ने भी ट्रैफिक रूल्स तोड़ने का शौक बना रखा था। बस फिर क्या था वो अक्सर ही सुबह के वक्त लोअर-टीशर्ट पहनकर सड़क पर उतर जाती थीं और बिना हेलमेट बाइक चला रहे युवकों को डांटने, जुमार्ना लगाने के बजाए गांधीगिरी के जरिए उन्हें समझकर देकर दोबारा ऐसी गलती नहीं करने की संकल्प दिलवाती थीं। इसके अलावा रवीना त्यागी ने घर-घर जाकर सीधे लोगों से रूबरू होकर उनकी समस्याएं सुनना शुरू किया था और मोहल्ले में शोहदों और अपराधियों के बारे में उनसे जानकारी लेकर थानेदार व पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई।
काम के बदौलत कमाया नाम
लेडी पुलिस ऑफिसर ने अपने काम की बदौलत कम समय में ही बड़ा नाम कमाया है। कानपुर के ही साउथ में पोस्टिंग के दौरान एएसपी रवीना त्यागी ने पहली महिला पुलिस चौकी गोविंदनगर में चालू कराई। जिसमें एक भी पुरूष पुलिसकर्मी नहीं हैं। इसके इलावा शोहदों और मनचलों के अलावा हार्डकोर क्रिमिनलों के खिलाफ अभियान चलाया। जिसके चलते साउथ में महिला अपराध में गिरावट आई है।
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जब मनचले ने मुंह पर छोड़ा था धुआं
अगर इनकी जिंदगी के एक किस्से की बात करें तो एक बार बरेली में तैनाती के दौरान आईपीएस रवीना त्यागी को बरेली कॉलेज के बाहर लड़कियों से छेड़छाड़ की खबर मिली। वह टीम के साथ बरेली कॉलेज पहुंची और लड़कियों से बात करने लगी। इसी दौरान उन्हें एक दुकान पर कुछ लड़के खड़े दिखे। लड़कियों ने बताया कि यह लड़के आए दिन लड़कियों के साथ छेड़खानी किया करते हैं। जिसके बाद रवीना त्यागी उन लड़कों से पूछताछ करने के लिए उनके पास पहुंची। सिविल ड्रेस में होने की वजह से लड़के उन्हें पहचान नहीं पाए और वहां सिगरेट पी रहे एक लड़के ने रौब दिखाते हुए उनके मुंह पर सिगरेट का धुआं छोड़ दिया। जिसके बाद रवीना त्यागी ने बरेली से मनचलों को मुक्ति दिला दी थी
माता-पिता की याद आई तो बेटी बनकर वृद्धाश्रम पहुंची कानपुर की IPS, साझा की मन की बात तो आंखें हुईं नम
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कोविड संक्रमण काल में पुलिस विभाग में कार्यरत कई अफसर और कर्मचारी अपने परिवार से बहुत दूर हैं। इन हालातों में सभी को अपने परिवार की याद आ रही है। शहर की तेज तर्रार आइपीएस को भी शनिवार को माता-पिता की याद आई तो वह एक बेटी बनकर किदवई नगर स्थित वृद्धाश्रम पहुंच गईं और बजुर्गों से मन की बात साझा की। उनकी बातें सुनकर बुजुर्गों की आंखें भींग गईं तो आइपीएस भी भावुक हो गईं। उन्होंने माता-पिता के समान सभी बजुर्गों को कोरोना संक्रमण के बारे में जानकारी देते हुए मास्क पहनने समेत बचाव के उपायों का पालन करने को कहा। साथ ही वैक्सीनेशन की भी जानकारी ली।
वर्दी पहनने के बाद जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं। अपनों से दूर रहकर अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करना भी कठिन है। क्योंकि वर्दी के पीछे भी इंसान ही है और उसकी भी अपनी संवेदनाएं होती है। जिम्मेदारियों को पूरा करने में परिवार के लिए वक्त बहुत ही कम निकल पाता है। कभी फोन पर बात करके तो कभी वीडियोकॉल करके अपनों का हाल जान लेते हैं। शहर में बतौर डीसीपी साउथ आइपीएस रवीना त्यागी को ड्यूटी करते हुए माता-पिता की याद आई तो वह हर बार की तरह फिर के-ब्लाक किदवई नगर के वृद्धाश्रम पहुंची। यहां अधिकारी नहीं एक बेटी बनकर उन्होंने सबसे हालचाल लिया और मन की बात साझा की।
वृद्धाश्रम में उन्होंने कोविड गाइड लाइन का पालन किया और पोर्च एरिया में सभी को शारीरिक दूरी का पालन कराते हुए बिठाया। उन्होंने कहा कि वैसे तो आप सभी से मेरा पुराना परिचय है। काफी समय बाद दोबारा सभी से मुलाकात हो रही है। कहा, ड्यूटी करते हुए मुझे अपने माता-पिता की याद आ रही थी। उनके पास पहुंचना संभव नहीं था इस लिए सोचा कि एक घर है जहां बहुत से माता-पिता मिलेंगे। इस लिए आप सबके बीच चली आई। डीसीपी की यह बात सुनकर कई बुजुर्गों की आंखे नम हो गईं तो डीसीपी भी भावुक हो गईं। उन्होंने सभी बुजुर्गों से उनके स्वास्थ्य और खानपान के बारे में पूछा। कोविड वैक्सीन के डोज के बारे में जानकारी ली तो 44 लोगों के वैक्सीनेशन की बात कही गई। करीब आधा घंटा उन्होंने बुजुर्गों के साथ बिताया। डीसीपी साउथ ने बताया कि वृद्धाश्रम में रहने वाले बुजुर्गों का ख्याल रखना ड्यूटी में शामिल है, यह भी मेरा एक परिवार है। समय-समय पर उनके बीच आकर लगता है कि परिवार के बीच में हैं।