शादी टूटने के बाद शुरू की पढ़ाई और बनीं IRS अफसर पिता के इन दो शब्दों ने फूंकी जान,….

Bureaucrats Magazine – Breaking News – : आईआरएस ऑफिसर कोमल गणात्रा कहती हैं कि मुझे कभी यह अहसास नहीं हुआ कि बेटी होना कमतर है या इसमें कुछ गलत है. सिर्फ मैं ही नहीं मेरे दोनों भाइयों को भी मेरे पापा ने हमेशा यही बोला कि “यू आर स्पेशल, यू आर इंपॉर्टेंट, आप जिंदगी में सबकुछ कर सकते हो. जिंदगी में बहुत आगे जाना है.”

Bureaucrats Magazine – कोमल गणात्रा गुजरात के एक छोटे से जिले अमरेली की मूल निवासी हैं. जिंदगी ने कोमल के रास्ते में तरह-तरह की मुश्किलें पैदा कीं. पहली शादी के टूट जाने पर वे सदमे में थीं. शादी टूटी मगर हिम्मत नहीं. मां-बाप से दूर रहकर छोटे से स्कूल में टीचर की नौकरी की. बिना इंटरनेट और अन्य मूलभूत सुविधाओं के भारत की सबसे टफ परीक्षा में से एक UPSC एग्जाम क्रैक किया और अब इंडियन रेवेन्यू सर्विस (IRS) में ऑफिसर हैं. वे आज न सिर्फ एक बेहतर जिंदगी जी रही हैं बल्कि बाकी महिलाओं के लिए भी नजीर पेश कर रही हैं. पढ़ें कोमल गणात्रा की सक्सेस स्टोरी.

Bureaucrats Magazine -शादी टूटने के बाद पिता और पढ़ाई ने दिखाई राह…….


Bureaucrats Magazine –कोमल गणात्रा की शादी 26 साल की उम्र में हुई थी. शादी के बाद एक लड़की जो सपने देखती हैं कोमल ने वैसे ही सपने अपने लिए देखे थे, लेकिन जरूरी नहीं हर सपना पूरा हो. शादी के दो हफ्ते बाद पति उन्हें छोड़कर चला गया. उनकी शादी एक NRI लड़के से हुई थी, जो उन्हें छोड़कर न्यूजीलैंड चला गया. सामने कुछ नहीं दिख रहा था. कुछ समझ नहीं आ रहा था. तब पिता का मोटिवेशन और पढ़ाई ही थी जिसने में मुझे एक दूसरी जिंदगी दी. उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी, लेकिन परेशानी हर जगह होती है, बस उससे उबरना आना चाहिए. कोमन न सिर्फ अपने भयानक अतीत से निकलीं बल्कि यूपीएससी में भी बार-बार असफलता झेलती रहीं. इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी. आखिरकार मेहनत रंग लाई और चौथे अटेंप्ट में यूपीएससी एग्जाम क्रैक करके दिखा दिया.

Bureaucrats Magazine -‘यू आर स्पेशल, यू आर इंपॉर्टेंट’ पिता के इन शब्दों से मिली प्रेरणा…


Bureaucrats Magazine –बेटा-बेटी के भेदभाव पर कोमल कहती हैं कि मैंने मेरे घर में कभी ऐसा कोई भेदभाव देखने को नहीं मिला. मुझे कभी ये अहसास नहीं हुआ कि बेटी होना कमतर है या इसमें कुछ गलत है. सिर्फ मैं ही नहीं मेरे दोनों भाइयों को भी मेरे पापा ने हमेशा यही बोला कि “यू आर स्पेशल, यू आर इंपॉर्टेंट, आप जिंदगी में सबकुछ कर सकते हो. जिंदगी में बहुत आगे जाना है.” ये लक्ष्य बचपन से ही हमारे मन में बीज की तरह बो दिए गए. हमें हमेशा से सर्वधर्म संभावना सिखाई गई थी. बचपन में फादर के बिहेवियर से और मदर की इंपोर्टेंस से मिलने वाला कॉन्फिडेंस लेवल ही कुछ और था. 

Bureaucrats Magazine -यूपीएससी से पहले स्कूल में पढ़ाकर निकाला खर्चा………….


Bureaucrats Magazine –यूपीएससी की तैयारी के दौरान कोमल एक स्कूल में पढ़ाने जाती थीं. कुछ सामाजिक खामियों के कारण जब कोई  गांव या छोटे शहर की लड़की बाहर पढ़ने या पढ़ाने जाती है तो उसके घर के आस पास के लोग उसे लेकर कई तरह की बातें बोलते हैं. इसपर कोमल बताती हैं कि मैं भी अपने मां-बाप से 40 किलोमीटर दूर एक गांव में बतौर टीचर पढ़ाने गई थी. हालांकि मुझे इस तरह की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ा, बल्कि बतौर टीचर बहुत इज्जत मिली. मगर सभी को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जब आपको आजादी मिलती है तो वो कुछ जिम्मेदारियों के साथ आती है. फ्रिडम कैरी करना आसान नहीं होता. आपको बहुत ध्यान रखना पड़ता है कि आपका फोकस ना हटे. जब हम अपने लक्ष्य से डगमगाने लगते हैं तभी परेशानी होती है. मगर जब आप अपने गोल की तरफ निरंतर काम करते  हैं तो आपका रिजल्ट खुद ही बोलने वालों का मुंह बंद कर देता है. समाज से कोई फर्क नहीं पड़ता.

Bureaucrats Magazine –वे कहती हैं कि अगर किसी बेटी को मां-बाप या परिवार वालों का इतना सपोर्ट नहीं मिला तो उसे अपना कॉन्फिडेंस खुद डेवलप करना पड़ेगा. उसको यह समझना पड़ेगा कि मेहनत से कुछ भी हो सकता है. अगर आप एक लक्ष्य पर फोकस रखकर आगे बढ़ेंगे तो आप कामयाबी पा सकते हैं. कोमल इस बारे में अपना एक अनुभव साझा करते हुए कहती हैं कि मैंने एक लेडी और डॉक्टर के बीच में बातचीत होते सुनी, वो औरत रोए जा रही थी. डॉक्टर ने महिला को कहा कि अगर आपको दर्द हो रहा है तो थोड़ी देर बैठ जाइये. अगर बहुत ज्यादा दर्द महसूस हो रहा है तो आपको कैजुअल्टी में जाना चाहिए. यहां पर जब हम आपको ओपीडी में देख रहे हैं तो हम आपसे आशा रखते हैं कि आप हमें अपनी बात बताए. तभी आपका इलाज कर पाएंगे. कई लोग अपनी परेशानियों पर बस रोए जाते हैं. मगर उसके हल पर कभी काम नहीं करते. जब कभी जिंदगी में कभी ऐसी समस्या हो तो ये सोचना है कि इसपर रोए या समाधान पर ध्यान दें. 

Bureaucrats Magazine -पहली शादी के बाद दूसरा मौका देना थोड़ा मुश्किल था…………… 


Bureaucrats Magazine –पहली शादी के इतने कम समय में टूटने पर मैं बहुत सदमें में थी. मेरे पति से मेरी मुलाकात करीब 10 साल पहले हुई थी. मेरा रिजल्ट आ चुका था. मगर पहली शादी की कुछ परेशानियां अभी भी मेरे साथ थी. मैं उनसे एक कॉमन फ्रैंड के जरिये मिली थी. इसके 2-3 दिन बाद ही उन्होंने मुझे शादी के लिए प्रपोज किया. मैं एकदम से कोई जबाव नहीं दे पाई. पहली शादी के टूटने के बाद उस समय शादी के लिए इतनी सीरियस नहीं थी. मुझे लगता था कि शादी होगी तो भी ठीक है, ना हो तो भी ठीक है. मैं देश को समर्पित हो चुकी हूं. मैं अकेली भी होती तो भी मेहनत करती रहती. इतनी जल्दी शादी के लिए कोई पूछता है तो भरोसा करना मुश्किल था. मैंने उनको कहा कि मुझे इसपर सोचने का वक्त चाहिए. एक साल बाद जब वो अपने फैसले पर टिके रहे तब  मैंने शादी के लिए हां कहा.

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