प्रमुख सचिव विधान सभा की नियुक्ति मायावती ने नियमों को ताक पर रखकर की थी

विधान सभा का अगला प्रमुख सचिव चुने जाने तक कुर्सी पर बने रहेंगे प्रदीप दुबे, नए सच‍िव के ल‍िए जल्‍द जारी होगा व‍िज्ञापन
जन्‍म15 अप्रैल, 1957
जन्म स्‍थानइटावा, उत्‍तर प्रदेश
शैक्षिक योग्याताएम0ए0 – इलाहाबाद विश्वविद्यालय, एल-एल0बी0 – दिल्ली विश्वविद्यालय
जिन पदों पर कार्य किया 
1. वर्ष 1985 से 1987 तक अधिवक्ता के रूप में कार्य किया।
2. अगस्त 1987 में उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा में चयन।
3. वर्ष 1987 से 1991 तक न्यायिक मजिस्ट्रेट के रूप में सिविल न्यायालय, लखनऊ में कार्य किया।
4. वर्ष 1991 से 1994 तक न्यायिक मजिस्ट्रेट के रूप में प्रयागराज(इलाहाबाद) जनपद न्यायालय में कार्य किया।
5. सितम्बर, 1994 से नवम्‍‍बर, 2006 तक उत्तर प्रदेश के श्री राज्यपाल के विधि परामर्शी/अतिरिक्त‍ विधि परामर्शी के रूप में कार्य किया।
6. फरवरी, 2007 से जुलाई, 2007 तक अतिरिक्त जिला न्यायाधीश के रूप में कार्य किया।
7. जनवरी, 2009 से 6 मार्च, 2012 तक उत्तर प्रदेश सरकार में प्रमुख सचिव, संसदीय कार्य के रूप में नियुक्त एवं श्री राज्यपाल
    के विधि परामर्शी का अतिरिक्त प्रभार।
8. मुख्य मंत्री सचिवालय में अतिरिक्त प्रभार।
9. प्रमुख सचिव संसदीय कार्य के साथ जुलाई 2008 से मार्च, 2012 तक प्रमुख सचिव, उत्तर प्रदेश विधान सभा का अतिरिक्त प्रभार।
वर्तमान में कार्यरत 
प्रमुख सचिव, उत्तर प्रदेश विधान सभा।
सम्मेलन/सेमिनार में प्रतिभाग 
1.   उत्तर प्रदेश विधान सभा के तत्वावधान में सप्तम कॉमनवेल्थ पार्लियामेन्ट्री एसोसिएशन इन्डिया रीजन कान्फ्रेन्स, लखनऊ का जनवरी, 2020 में आयोजन किया।
2.   विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों और सचिवों का सम्मेलन, चंडीगढ़(हरियाणा)- 2008, श्रीनगर (जम्मू और कश्मीर)- 2010, जयपुर (राजस्थान)-
     2011 तथा गांधीनगर (गुजरात)- 2016, देहरादून (उत्तराखंड)-2019, केवडिया (गुजरात)-2020, शिमला (हिमाचल प्रदेश)- 2021,
     जयपुर (राजस्थान)-2023 में प्रतिभाग।
3.   उत्तर प्रदेश विधान सभा के तत्वावधान में पीठासीन अधिकारियों एवं सचिवों का सम्मेलन, 2015 का आयोजन किया।
4.   संसदीय प्रक्रिया और पद्धति पर 59वें वेस्टमिनिस्टर सेमिनार, लंदन, यूनाइटेड किंगडम, 2010 में प्रतिभाग।
5.   57वें कॉमनवेल्थ पार्लियामेन्ट्री एसोसिएशन सेमिनार, लंदन, 2011 में ‘SOCATT’ के सदस्य के रूप में प्रतिभाग।
6.   58वें कॉमनवेल्थ पार्लियामेन्ट्री एसोसिएशन सम्मेलन, कोलंबो, श्रीलंका, 2012 में सचिवों के शिष्टमंडल के रूप में प्रतिभाग।
7.   59वें कॉमनवेल्थ पार्लियामेन्ट्री एसोसिएशन सम्मेलन, जोहानस्बर्ग, दक्षिण अफ्रीका, 2013 में ‘SOCATT’ के सदस्य के रूप में प्रतिभाग।
8.   अन्तर्राष्ट्रीय भोजपुरी सम्मेलन (हिन्दी भाषा शाखा) मॉरीशस में प्रतिभाग (30 अक्टूबर से 4 नवम्बर, 2014)
9.   62वें कॉमनवेल्थ पार्लियामेन्ट्री कान्फ्रेंस, लंदन, यूनाइटेड किंगडम, 2015 में प्रतिभाग।
10. 65वें कॉमनवेल्थ पार्लियामेन्ट्री कान्फ्रेंस, हैलीफैक्स, कनाडा, 2022 में प्रतिभाग।

लेखन/सम्पादन 
1. 2019 में 55वीं कम्‍पाला, यूगान्‍डा की बैठक में ‘ब्रिगिंग पार्लियामेण्‍ट नियरर टू द पीपल : काम्‍यूनिकेटिंग पार्लियामेण्‍ट’ विषय पर शोध-पत्र का प्रस्‍तुतीकरण
2. 54वीं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कॉमनवेल्थ पार्लियामेण्ट्स की सोसाइटी ऑफ क्लर्क्स-ऐट-द-टेबल की वर्ष 2018 में टोरंटो,
    कनाडा की बैठक में ‘श्रिंकिंग ऑफ दि सिटिंग्स ऑफ लेजिसलेचर्स’ विषय पर शोध-पत्र का प्रस्तुतीकरण।
3. 53वीं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कॉमनवेल्थ पार्लियामेण्ट्स की सोसाइटी ऑफ क्लर्क्स-ऐट-द-टेबल की वर्ष 2017 में ढाका,
    बांग्लादेश की बैठक में ‘द लेजिसलेटर्स एण्ड देयर रिप्रजेन्टेशनल रोल: नीड फॉर अनइन्टर्रपटेड फंग्सनिंग ऑफ
    लेजिसलेचर्स’ विषय पर शोध-पत्र का प्रस्तुतीकरण।
4. 51वीं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कॉमनवेल्थ पार्लियामेण्ट्स की सोसाइटी ऑफ क्लर्क्स-ऐट-द-टेबल की वर्ष 2014 में यूगान्डा, कैमरून
    की बैठक में लेजिसलेचर एण्ड ऐक्जीक्यूटिव: इमरजिंग चैलेन्जेस विषय पर शोध-पत्र का प्रस्तुतीकरण।
5. निम्नलिखित पुस्तकों का सम्पादन:
    • संविधान सभा में उत्तर प्रदेश से नवनिर्वाचित सदस्यों के भाषण,
    • उत्तर प्रदेश विधान सभा में महिला प्रतिनिधित्व एवं मंत्रि-परिषद् में उनकी भागीदारी,
    • उत्तर प्रदेश विधान सभा में प्रस्तुत संसदीय विशेषाधिकार के मामले एवं उन पर माननीय अध्यक्ष के निर्णयों का संकलन,
    • उत्तर प्रदेश विधान सभा में योगी आदित्यनाथ,
    • उत्तर प्रदेश विधान सभा में श्री राजनाथ सिंह,
    • उत्तर प्रदेश विधान सभा में श्री कल्याण सिंह,
    • उत्तर प्रदेश विधान सभा में श्री रामप्रकाश,
    • उत्तर प्रदेश में राज्यपाल का अभिभाषण भाग-2,
    • उत्तर प्रदेश में संविद सरकारें,
    • उत्तर प्रदेश विधान सभा के महत्वपूर्ण विधायन,
    • उत्तर प्रदेश में राजनैतिक दलों का उद्भव एवं विकास
    • श्री हृदयनारायण दीक्षित, पूर्व माननीय अध्यक्ष, विधान सभा की पुस्तक ‘भगवद् गीता’ के अंग्रेजी अनुवाद (BHAGWAT GEETA Re-Visited)
       का सम्पादन एवं दिशानिर्देशन।
    • विधान पुस्तकालय द्वारा प्रकाशित पत्रिका ‘संसदीय दीपिका’ का सम्पादन/ लेखन।

विशेष अभिरूचि 
अध्ययन एवं भ्रमण।
विदेश भ्रमण 
कॉमनवेल्थ पार्लियामेन्ट्री एसोसिएशन के शिष्टमण्डल तथा माननीय अध्यक्ष, विधान सभा के साथ अध्ययन भ्रमण दल के सदस्य के रूप में एवं अन्यथा निम्न देशों की यात्रा:-

तुर्की, ग्रीस, नीदरलैण्ड, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त अरब अमीरात, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड, जापान, बेल्जियम, हांगकांग, मलेशिया, श्रीलंका, यू0एस0ए0, बांग्लादेश, सिंगापुर, पेरिस, रोम, कुआलालम्पुर, मॉरीशस, डेनमार्क, स्विट्जरलैण्ड, कनाडा।
स्‍थायी पता 
65, न्यू कालोनी, इटावा, उत्तर प्रदेश।
वर्तमान पता 
D2/152, गोल्फ सिटी, अंसल एoपीoआईo, लखनऊ|

विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे को योगी सरकार में दूसरी बार मिला सेवा विस्तार

यूपी विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे को उनकी सराहनीय सेवाओं को देखते हुए एक साल का सेवा विस्तार दिया गया है. उनका कार्यकाल इसी 30 अप्रैल को समाप्त हो गया था.

रिटायर्ड अफसर प्रदीप दुबे को प्रमुख सचिव बनाने पर उठे सवाल, राज्यपाल ने दिए जांच के आदेश

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे की तैनाती की जांच के आदेश दिए हैं। एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर ने प्रदीप दुबे को रिटायरमेंट के बाद भी नियुक्त किए जाने पर सवाल उठाए थे।

एक्टिविस्ट ने शिकायत में कहा था कि प्रदीप दुबे ने 13 जनवरी 2009 को स्वैच्छिक सेवानिवृति ली। इसके तत्काल बाद उन्हें 19 जनवरी 2009 को उत्तर प्रदेश विधान सभा सचिवालय सेवा नियमावली के नियमों के विपरीत प्रमुख सचिव के पद पर नियुक्ति दी गयी।

सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था मामला

इस संबंध में जब विवाद बढ़ा और मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया तो भर्ती के लिए विज्ञापन निकालकर प्रदीप दुबे को दुबारा 06 मार्च 2012 को प्रमुख सचिव नियुक्त किया गया। जबकि उस समय उनकी आयु इस पद के लिए अधिकतम आयु से अधिक हो गयी थी।

दरअसल, 30 अप्रैल 2019 को रिटायर होने के बाद भी वे बिना किसी विधिक आदेश अथवा सेवा विस्तार के ही प्रमुख सचिव, विधान सभा के पद पर काम कर रहे बताये जाते हैं। नूतन ने इस सम्बन्ध में जांच कराते हुए उन्हें अविलंब इस पद से हटाए जाने तथा पूर्व नियुक्तियों की भी जांच कराए जाने का अनुरोध किया था। राज्यपाल सचिवालय ने प्रमुख सचिव, न्याय विभाग को इस मामले में विधि अनुसार कार्यवाही करने का निर्देश दिया है।

राज्यपाल के विशेष सचिव ने जारी किया आदेश

विशेष सचिव बद्रीनाथ सिंह ने लिखा है कि मिली शिकायत के आधार पर राज्यपाल के द्वारा प्रमुख सचिव विधानसभा प्रदीप कुमार दुबे के खिलाफ जांच कर उचित कार्रवाई करने के निर्देश दिए जाने के मुझे आदेशित किया गया है।

विधान सभा का अगला प्रमुख सचिव चुने जाने तक प्रदीप दुबे कुर्सी पर बने रहेंगे। बता दें क‍ि प्रमुख सचिव विधान सभा के तौर पर उनका कार्यकाल समाप्त हो रहा था ज‍िसे अब कुछ द‍िन के ल‍िए बढ़ा द‍िया गया है।

 प्रदीप दुबे विधान सभा का अगला प्रमुख सचिव चुने जाने तक इस कुर्सी पर बने रहेंगे। प्रमुख सचिव विधान सभा के तौर पर उनका कार्यकाल गुरुवार को समाप्त हो रहा था। कार्यकाल समाप्त होने से पहले उन्हें अगला प्रमुख सचिव चुने जाने तक कुर्सी पर बनाए रखने का निर्णय किया गया है। दुबे 30 जुलाई 2008 से यह दायित्व निभा रहे हैं। विधान सभा के नए प्रमुख सचिव के चयन के लिए जल्द विज्ञापन जारी करने की तैयारी है।

सूत्रों के अनुसार विधान सभा अध्यक्ष सतीश महाना ने इस संबंध में मंजूरी दे दी है। विधानसभा के प्रमुख सचिव पद के योग्य होने के लिए संविधान और विधि का ज्ञाता होना आवश्यक है।

गौरतलब है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता और कानपुर की महाराजपुर सीट के विधायक महाना हाल ही में विधान सभा अध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं। माना जा रहा है कि विधान सभा अध्यक्ष के नए होने के कारण उनके सहयोग के लिए फिलहाल दुबे को सेवा विस्तार दिया गया है।

यूपी विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय और पूर्व अध्यक्ष सुखदेव राजभर के रिश्तेदारों की अनियमित भर्ती के मामले के खुलासे के बाद अब प्रमुख सचिव विधानसभा प्रदीप कुमार दुबे की नियुक्ति पर भी सवाल उठ रहे हैं। बताया जाता है कि प्रदीप कुमार दुबे प्रमुख सचिव विधानसभा के पद पर नियुक्ति के समय तय आयु सीमा को पार कर चुके थे। उनकी नियुक्ति आयोग से न होकर सीधी भर्ती के जरिए हुई, जो सचिवालय सेवा नियमावली का उल्लंघन है। दूसरी ओर, इस खुलासे पर से प्रमुख सचिव विधानसभा प्रदीप दुबे ने कहा, ‘मेरी जो नियुक्ति हुई है वह नियमानुसार हुई है। इसमें गलत कुछ भी नहीं है।’

उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय सेवा (भर्ती और सेवा की शर्तें) की नियमावली के अनुसार, विधानसभा में सचिव के पद पर नियुक्ति आयोग से ही की जा सकती है, लेकिन प्रदीप कुमार दुबे की नियुक्ति में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती सरीखी प्रक्रिया अपनाई गई। 25 जनवरी 2012 को सीधी भर्ती के लिए विज्ञापन प्रकाशित हुए थे। इसके अनुसार अभ्यर्थी की अधिकतम आयु सीमा 52 वर्ष होनी चाहिए, जबकि उनकी जन्मतिथि के मुताबिक आवेदन के समय प्रदीप कुमार दुबे की आयु 52 वर्ष से अधिक थी, फिर भी बसपा सरकार में उन्हें प्रमुख सचिव विधानसभा के पद पर नियुक्ति दे दी गई।

दुबे पर मेहरबान रही बसपा सरकार
प्रदीप कुमार दुबे को 13 जनवरी 2009 को प्रमुख सचिव संसदीय कार्य विभाग के पद पर नियुक्ति दी गई और फिर 19 जनवरी को ही एक नए आदेश के तहत उन्हें प्रमुख सचिव विधानसभा के पद में निहित सभी दायित्वों का निर्वहन करने की स्वीकृति भी दे दी गई। बसपा सरकार दुबे पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान थी। यही कारण है कि एक बार फिर 27 जून 2011 को उन्हें सेवा स्थानांतरण के आधार पर प्रमुख सचिव विधानसभा के पद पर नियुक्त कर दिया गया और फिर जनवरी 2012 को प्रकाशित विज्ञापन के जरिए उन्हें प्रमुख सचिव विधानसभा के पद पर नियमित नियुक्ति हो गई।

दुबे की नियुक्ति का सपा ने किया था विरोध
प्रदीप कुमार दुबे की 2012 में प्रमुख सचिव के पद पर नियुक्ति के समय विपक्ष में रही समाजवादी पार्टी ने इसका जमकर विरोध किया था। खास बात ये है कि उस समय विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू थी, लेकिन इसे दरकिनार कर बसपा सरकार में भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला गया। उस समय सपा महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव ने भी नियमों का हवाला देते हुए निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर भर्ती प्रक्रिया रोकने की मांग की थी।

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