देवघर, झारखंड के रवि जैन ने सिविल सेवा परीक्षा 2019 में 9 वीं रैंक हासिल की है. यह सफलता उनको अपने चौथे प्रयास में मिली है.
निजी क्षेत्र में एक छोटे से कार्यकाल के बाद, रवि कुछ अन्य खुली प्रतियोगी परीक्षाओं के साथ अपनी किस्मत आजमा रहे थे और पिछले वर्ष बिहार लोक सेवा आयोग परीक्षा (BPSC) के साथ सफल हुए और वर्तमान में बिहार वित्त सेवा में सहायक आयुक्त राज्य कर के रूप में कार्य कर रहे हैं.
रवि का वैकल्पिक विषय मनोविज्ञान रहा है.
सिविल सेवा परीक्षा में शीर्ष रैंक के साथ सफल होने वाले कई उम्मीदवारों में अक्सर हम ऐसे युवा पाते हैं जो अपने पिछले प्रयास में असफल होने के बाद अपनी वापसी करते हैं.
एक चीज जो ऐसे उम्मीदवारों के लिए काम करती है वह है असफलताओं के बावजूद, वे अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहते हैं.
रवि जैन एक ऐसे ही युवा हैं, जिन्हें लगातार तीन बार असफल होने के बाद अपने चौथे प्रयास में शैली-बद्ध तरीके से अपने लक्ष्य पूरा किया.
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सफलता से संतुष्टि महसूस करते हुए रवि ने कहा, “मैंने जीवन में बहुत पहले सिविल सर्विसेज के महत्व को समझ लिया था. जब आप देवघर जैसे छोटे शहर में पले-बढ़े, तो कई उदाहरण सामने आते हैं जब जिला प्रशासन की भूमिका सामने आती है. कुशल अधिकारियों से प्रेरणा लेकर, यह समझना आसान है कि सिविल सेवाओं के साथ जिस तरह की नौकरी विविधता और नेतृत्व का अवसर मिलता है वह अविश्वसनीय है. इसके अलावा, यह राष्ट्र निर्माण में भी योगदान करने का अवसर देता है.“
हालांकि, सिविल सर्विसेज में करियर बनाने का स्वप्न बचपन से ही था, लेकिन मैं कभी गंभीर नहीं था.
रवि ने कहा कि निजी फर्म में एक छोटे से कार्यकाल के बाद नए अवसरों की खोज के दौरान मेरा विचार सिविल सेवाओं के बारे में स्पष्ट हो गया और मैं इसके बारे में गंभीर हो गया.
अपने बारे में थोड़ी जानकारी साझा करते हुए रवि ने कहा, “मैंने अपनी स्कूली शिक्षा सेंट फ्रांसिस स्कूल, देवघर से की और फिर दिल्ली आ गया और 12वीं कक्षा एमिटी इंटरनेशनल स्कूल से की.“
मैंने 2012 में नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (NSUT) से अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की. उसके बाद मैंने तीन साल तक निजी क्षेत्र के साथ काम किया और फिर सिविल सेवा की ओर अपना ध्यान देने लगा.”
“मेरे पिता अशोक जैन व्यवसाय में हैं और मेरी माँ एक गृहिणी हैं. मेरे पिता हमेशा चाहते थे कि मैं सिविल सर्विसेज की कोशिश करूं और उचित समय पर, मैंने अपने निर्णय को उनके विचारों के साथ जोड़ दिया गया और मुझे सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में अपने माता-पिता और बहनों से समर्थन व प्रेरणा मिली.”
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पहला कदम
शुरुआती मानसिकता पर बात करते हुए रवि ने कहा, “जब मैंने शुरुआत की, तो मेरे मन में बहुत सारे प्रश्न थे और सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए एक खाके की तलाश थी. प्रत्येक आकांक्षी शुरू में ऐसा सोचता है; लेकिन अंततः आपको अपना रास्ता स्वयं खोजना होता है क्योंकि सफलता के लिए कोई सीधी राह नहीं जो आपको लक्ष्य तक पहुँचा दे.”
मैं मार्गदर्शन के लिए वरिष्ठों, मित्रों और साथियों के सम्पर्क में पहुंचा और कुछ अंतर्दृष्टि प्राप्त करने के लिए टॉपर्स के वीडियो और ब्लॉग देखे.
मैं अपनी मंजिल के बारे में स्पष्ट था और पूरी लगन के साथ मेहनत करने को तैयार था. मैंने सिर्फ अपनी यात्रा शुरू कर पहला कदम बढ़ाया और अपने लक्ष्य तक पहुंचने तक आगे बढ़ता रहा.
मैं अपनी मंजिल तक पहुँचने तक अपने लक्ष्य का पीछा करता रहा
यू.पी.एस.सी. सिविल सेवा परीक्षा के अलावा मैं एस.एस.सी. परीक्षा, बिहार और झारखंड राज्य सिविल सेवा परीक्षा आदि में शामिल हुआ और इस क्रम में मेरा पहला चयन एस.एस.सी. परीक्षा के माध्यम से सी.एंड ए.जी. में सहायक लेखा परीक्षा अधिकारी के रूप में हुआ.
बाद में, मैंने बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) परीक्षा को क्रैक किया और वर्तमान में मैं बिहार वित्त सेवा में सहायक आयुक्त राज्य कर के रूप में कार्य कर रहा हूँ.
सिविल सेवा परीक्षा के बारे में बात करूं तो मैं अपने पहले तीन प्रयासों में असफल रहा.
अपने पिछले दो प्रयासों में मैंने मुख्य परीक्षा लिखी और साक्षात्कार का सामना किया; लेकिन अंततः मेरिट-सूची में अपने लिए स्थान नहीं बना सका.
असफलता, सफलता का विकल्प नहीं है. लेकिन रुक-रुक कर आने वाली सफलताओं ने मेरी उम्मीद को जिंदा रखा. फिर, मैं कड़ी मेहनत कर रहा था और अपने प्रत्येक प्रयास में अपना सर्वश्रेष्ठ लगा रहा था.
मैंने बहुत सी कहानियाँ पढ़ी थीं जो सफल उम्मीदवारों के बारे में शुरुआती प्रयासों में असफलता के प्रयास दिखाती थीं.
और मैं हार मानने को तैयार नहीं था.
मैंने अपनी प्रत्येक असफलता से सीखा और इस चौथे प्रयास में अपने प्रदर्शन के बाद आश्वस्त था.
अपनी मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार के बाद, मुझे सूची में कहीं और अपना नाम होने की उम्मीद थी. यहां तक कि, मैंने अपनी यह सोच अपने दोस्तों के साथ साझा की.
और जब परिणाम आया तो मैं बेसुध था. अपने नाम को एकल-अंक की श्रेणी में समाते देखना मेरी कल्पना से परे था.
असफल प्रयासों के बाद भी अपने प्रयास जारी रखने का मेरा संकल्प वास्तव में काम कर गया और मैं भाग्यशाली महसूस करता हूं कि आखिरकार, चीजों ने मेरे तरीके से काम किया.
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भविष्य के उम्मीदवारों के लिए एक सलाह
हां, कड़ी मेहनत और कुछ बलिदानों के साथ यह सफलता मिलती है; लेकिन मेरा मानना है कि अंत में, यह सिर्फ अन्य परीक्षाओं की तरह एक परीक्षा ही है और परिणाम किसी व्यक्ति को परिभाषित करने के लिए बहुत छोटी है.
असली परीक्षा तो चयन के बाद शुरू होती है.
इसलिए, परीक्षा-प्रक्रिया का आनंद लें; अपना बेहतरीन प्रदर्शन करें.
तैयारी से सीखने से आपको जीवन में मदद मिलेगी.
दोस्त बनायें और परिणाम की परवाह किए बिना इस समय की अच्छी यादें बनायें.