मेडिकल कॉलेज में टॉपर रह चुके हैं मन्नान अख्तर
लोकप्रिय जिलाधिकारी
चिकित्सक की सरकारी नौकरी छोड़कर यूपीएससी जैसी मुश्किल इम्तिहान पास कर आईएएस बनने वाले एक शख्स को मिला अपने घर से हजारों किलोमीटर दूर गांव-शहर में लोगों की समस्याओं से जूझने का कार्य। लेकिन उस अधिकारी ने इन समस्याओं को चुनौती के तौर पर लिया और ऐसा समाधान करने का प्रयास किया कि लोगों का हरदिल अजीज बन गया। इस ऑफिसर का नाम है मन्नान अख्तर जो इस समय जालौन के जिलाधिकारी हैं।
डॉक्टर मन्नान अख्तर मेहनती और शानदार व्यक्तित्व के इंसान हैं । इनके पिता अख्तर हुसैन खान असम कैडर के सेवानिवृत्त आईएफएस अधिकारी और मां शगुफ्ता यास्मीन पढ़ी-लिखी हाउस वाइफ हैं । 2011 बैच के प्रशासनिक अधिकारी मन्नान अख्तर की पत्नी सहरिश सिद्दीकी लखनऊ में तैनात आईआरपीएस अधिकारी है।
मन्नान अख्तर का जन्म असम में 27 फरवरी 1986 को हुआ। उनकी शुरुआती पढ़ाई केंद्रीय विद्यालय तेजपुर में हुई। इसके बाद उन्होंने गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री हासिल किया । उन्होंने एक साल तक गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज में जूनियर रेजिडेंट के रूप में काम किया। लेकिन वे सिविल सेवाओं में शामिल होना चाहते थे, क्योंकि मन्नान बड़े स्तर पर प्रशासनिक बदलाव द्वारा सेवा करना चाहते थे । लिहाजा मेडिकल कॉलेज में टॉपर रहे मन्नान अख्तर ने पहले ही प्रयास में यूपीएससी में क्वालिफाई किया । 2011 बैच के आईएएस डॉक्टर मन्नान को यूपी कैडर मिला ।
उन्हें मऊ जिला में प्रोबेशन पर पोस्टिंग मिली । इसके बाद उन्हें जिला मुरादाबाद और जिला बुलंदशहर के शिकारपुर का ज्वाइंट मजिस्ट्रेट बनाया गया, वे दोनों जिलों में 6-6 महीने रहे। मन्नान अख्तर अगस्त 2014 में पदोन्नत हुए और फिर अंबेडकर नगर में चीफ डेवल्पमेंट ऑफिसर बनाये गये। फिर उन्होंने गोरखपुर में मुख्य विकास अधिकारी के रूप में काम किया। इस दौरान उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में सबसे अच्छा प्रदर्शन किया। गोरखपुर के गांवों में सबसे ज्यादा शौचालय बनाए गए ताकि गावोंवालों को खुले में शौच से मुक्त किया जा सके, इसमें काफी सफलता भी मिली।
इसके बाद डॉ मन्नान अख्तर को यूपी के हमीरपुर जिला में बतौर डीएम ट्रांसफर किया गया। वे करीब पांच महीने हमीरपुर में रहे। सितंबर 2017 में उन्हें जालौन का जिलाधिकारी बना कर भेजा गया। उनकी अगुवाई में जालौन में शिक्षा, जल संचयन, स्वच्छता, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए नियमित रूप से काम किया गया। उन्होंने जिले में पानी की समस्या को देखते हुए जल संरक्षण पर शानदार काम किया, जिसकी बदौलत दशकोंं से सूखाग्रस्त रहे जालौन को जल संरक्षण के लिए नैशनल अवॉर्ड मिला। वे भूजल कोष संचय योजना के तहत लगातार कार्य करवा कर जिले के वाटर लेवल को पिछले कई बरसो पुराने स्तर पर लाने में कामयाब रहे, जिसके लिए जालौन को राष्ट्रीय जल पुरस्कार मिला। छोटे शहरों में स्वच्छता सुधार को बढ़ावा देने के मकसद से किये जाने वाले सर्वे में भी जिले का ओराई शहर नेशनल स्वच्छता सर्वे में बेहतर रैंकिंग पाने में सफल रहा।
डॉ. मन्नान अख्तर ने आरबीएसके स्कीम के तहत चल रहे जालौन संवर्धन ऐप्प का बेहतर उपयोग किया, जिसकी सफलता को देखते हुए राज्य सरकार ने इसे हर जिलों में लागू करने के आदेश दिया। कानपुर झांसी नैशनल हाइवे 27 और साउथ-वेस्ट राज्यों को पूर्व से जोड़ने वाली मुख्य सड़क के वर्षो पुराने विवाद को सुलझाने में सफल रहना इस युवा अधिकारी के शानदार व्यक्तिव और प्रशासनिक कार्य कौशल का ही कमाल रहा। कोविड-19 के संकट में भी जालौन में उनके नेतृत्व में जागरूकता, सुरक्षा, जांच , ईलाज आदि का बेहतर कार्य हो रहा है।
फेम इंडिया और एशिया पोस्ट द्वारा शानदार गवर्नेंस, दूरदर्शिता, उत्कृष्ट सोच, जवाबदेह कार्यशैली, अहम फैसले लेने की त्वरित क्षमता, गंभीरता और व्यवहार कुशलता आदि दस मानदंडों पर किये गए सर्वे में जालौन के जिलाधिकारी डॉ मन्नान अख्तर “शानदार” श्रेणी में प्रमुख स्थान पर हैं।
जनपद को केंद्र से मिला राष्ट्रीय जल पुरस्कार