अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में जारी गिरावट को लेकर विवाद चल रहा है, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने शनिवार की शाम को एक बयान जारी कर कहा कि वह बाजार के व्यवस्थित और कुशल कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। सेबी ने अपने बयान में कहा कि एक विशेष समूह के शेयरों में चल रही अत्यधिक अस्थिरता को दूर करने के लिए सभी जरूरी और निगरानी उपाय किए गए हैं। अडानी समूह का नाम लिए बिना, बाजार नियामक ने एक बयान में कहा कि एक व्यापारिक समूह के शेयरों में असामान्य मूल्य विचलन देखा गया है।
सेबी ने कहा कि वह बाजार के सुचारू संचालन के लिए जिम्मेदार संस्था होने के नाते बाजार को व्यवस्थित और कुशल कामकाज को बनाए रखना उसकी प्राथमिकता है। एक विशेष समूह के शेयरों में चल रही अत्यधिक अस्थिरता को दूर करने के लिए पहले से परिभाषित और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध निगरानी उपायों (एएसएम ढांचे सहित) को लागू कर रहा है। किसी भी स्टॉक की कीमतों में अत्यधिक उतार-चढ़ाव की कुछ शर्तों के तहत यह तंत्र ऑटोमेटिक रूप से लागू हो जाता है।
स्टॉक एक्सचेंज बीएसई और एनएसई ने अडानी समूह की तीन कंपनियों – अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन और अंबुजा सीमेंट्स को अपने अल्पकालिक अतिरिक्त निगरानी उपाय (एएसएम) के तहत रखा है।
सेबी का यह बयान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के उस बयान के घंटों के भीतर आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘अडानी एंटरप्राइजेज पर यूएस-आधारित लघु विक्रेता हिंडनबर्ग के “स्टॉक हेरफेर” आरोपों के बाद 20,000 करोड़ रुपये के फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) को रद्द करने के बाद भारत की मैक्रो फंडामेंटल और छवि प्रभावित नहीं हुई है। देश की की मजबूत धारणा बरकरार बनी हुई है।
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि अडानी के मुद्दे पर नियामक अपना काम करेंगे और उनके पास बाजारों की स्थिरता सुनिश्चित करने के साधन हैं। सीतारमण ने कहा कि नियामक सरकार से स्वतंत्र हैं, और “बाजार को अच्छी तरह से विनियमित करने के लिए जो उचित है उसे करने के लिए उन्हें खुद पर छोड़ दिया गया है। हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में अडानी समूह की कंपनियों पर हेराफेरी का आरोप लगाया था। हालांकि अडानी ने आरोपों से इनकार किया है। हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा कि अडानी समूह भारत को व्यवस्थित ढंग से लंबे समय से लूट रहा है। हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद अडानी समूह की कंपनियों के शेयर तेजी से गिर गए। अडानी दुनिया के अमीरों की सूची में लुढ़कते हुए 20 टॉप उद्योगपतियों की सूची से भी बाहर हो गए।