Bureaucrats Magazine – अब वीरा राणा मध्य प्रदेश के इतिहास में निर्मला बुच के बाद राज्य के मुख्य सचिव का पद संभालने वाली दूसरी महिला होंगी. आज वर्तमान मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस (Iqbal Singh Bains) का सेवा विस्तार खत्म हो रहा है. बैंस को 30 नवंबर 2022 को सेवानिवृत्त होना था, लेकिन विधानसभा चुनावों को देखते हुए उन्हें 31 मई 2023 तक छह महीने का विस्तार दिया गया और उसके बाद 30 नवंबर 2023 तक के लिए एक और विस्तार दिया गया था.
Bureaucrats Magazine – Madhya Pradesh Chief Secretary IAS officer Veera Rana Profile : मध्य प्रदेश सरकार ने सीनियर आईएएस अधिकारी वीरा राणा (Senior IAS Veera Rana) को राज्य के मुख्य सचिव का अतिरिक्त प्रभार (Additional Charge of MP Chief Secretary) देने की घोषणा कर दी है. वीरा राणा भारतीय प्रशासनिक सेवा 1988 बैच की एक वरिष्ठ अधिकारी हैं. अब राज्य के मुख्य सचिव का पद संभालने वाली वीरा राणा दूसरी महिला होंगी, इनसे पहले निर्मला बुच (Nirmala Buch) मुख्य सचिव की कमान संभाल चुकी हैं. कुछ महीने पहले ही बुच का निधन हुआ है. अब वीरा राणा मध्य प्रदेश के इतिहास में निर्मला बुच के बाद राज्य के मुख्य सचिव का पद संभालने वाली दूसरी महिला होंगी.
Bureaucrats Magazine – आज वर्तमान मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस (Iqbal Singh Bains) का सेवा विस्तार खत्म हो रहा है. बैंस को 30 नवंबर 2022 को सेवानिवृत्त होना था, लेकिन विधानसभा चुनावों को देखते हुए उन्हें 31 मई 2023 तक छह महीने का विस्तार दिया गया और उसके बाद 30 नवंबर 2023 तक के लिए एक और विस्तार दिया गया था. 1985 बैच के आईएएस अधिकारी इकबाल सिंह बैंस से वीरा राणा मुख्य सचिव का प्रभार लेंगी.
Bureaucrats Magazine – पहली बार यह होगा?
मध्य प्रदेश के इतिहास में पहली बार ऐसा होगा कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की वोटिंग के दिन अलग चीफ सेक्रेट्री था और कांउंटिंग के दिन अलग. वोटिंग के दिन इकबाल सिंह बैंस कुर्सी पर थे, वहीं अब काउंटिंग के दिन वीरा राणा पद में होंगी
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Bureaucrats Magazine – इस समय कहां नियुक्त हैं राणा?
वीरा राणा वर्तमान में मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (Madhya Pradesh Board of Secondary Education) के अध्यक्ष के रूप में तैनात हैं. इसके अलावा उनके पास राज्य के कृषि उत्पादन आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार भी है.
Bureaucrats Magazine – पहले कहां-कहां पदस्थ रह चुकी हैं?
मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की अध्यक्ष बनने से पहले वीरा राणा मध्य प्रदेश राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारी (Chief Electoral Officer Madhya Pradesh), खेल और युवा कल्याण विभाग की एडिशनल चीफ सेक्रेटरी (Additional Chief Secretary of Sports and Youth Welfare Department), प्रशासन अकादमी में महानिदेशक (Director General in the Academy of Administration), कुटीर और ग्रामोद्योग विभाग (Cottage and Village Industries Department) और सामान्य प्रशासन विभाग कार्मिक (General Administration Department Personnel) जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभाल चुकी हैं.
Bureaucrats Magazine – रिटायरमेंट कब का है?
इकबाल सिंह बैंस के बाद मध्य प्रदेश की सबसे सीनियर अधिकारी वीरा राणा का रिटायरमेंट मार्च 2024 में है.
जन्म और पढ़ाई?
मध्य प्रदेश की नई मुख्य सचिव वीरा राणा का जन्म 26 मार्च 1964 को उत्तर प्रदेश में हुआ था. राणा 1988 बैच की आईएएस अधिकारी हैं, इन्होंने बैचलर ऑफ आर्ट्स और एमबीए (MBA) शिक्षा अर्जित की है.
Bureaucrats Magazine – राज्यपाल से हुआ था मतभेद!
द वीक की रिपोर्ट में सूत्रों के अनुसार दी गई जानकारी के मुताबिक गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को जब मध्य प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया था तब आनंदीबेन ने मुख्यमंत्री से एक महिला अधिकारी देने का अनुरोध किया था. राज्यपाल विशेष रूप से एक महिला आईएएस अधिकारी को अपना प्रमुख सचिव बनाना चाहती थीं, इसके बाद वीरा राणा की नियुक्ति हुई. हालांकि, महिला अधिकारी भी राज्यपाल की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरीं और उन्हें राजभवन में काम करने में समस्याएं हुई थीं. बमुश्किल एक पखवाड़े तक काम करने के बाद वीरा राणा कथित तौर पर राज्यपाल से मतभेदों के चलते छुट्टी पर चली गई थीं.
Bureaucrats Magazine – वीरा राणा ने 11 जुलाई 2018 को ज्वाइन किया था और कुछ दिन काम करने के बाद छुट्टी पर चली गई थीं. राणा चाइल्ड केयर लीव पर चली गई थीं. राजभवन के सूत्रों ने बताया था कि राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की अपने पिछले प्रमुख सचिव की तरह राणा से भी अनबन चल रही थी. भोपाल राजभवन में 100 दिन पूरे होने पर पटेल द्वारा कॉफी टेबल बुक प्रकाशित करने को लेकर उनके सचिव से मतभेद हो गए थे.
Bureaucrats Magazine – कॉफी टेबल बुक का प्रकाशन राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के आदेश पर किया गया था. उनके पूर्व प्रिंसिपल सचिव (principal secretary) को इस संबंध में कुछ आपत्तियां थीं. कॉफी टेबल बुक प्रकाशित होने के बाद इस पर विवाद हो गया था. क्योंकि राजनीतिक और नौकरशाही क्षेत्र में कई लोगों को राज्यपाल द्वारा अपने कार्यकाल के पहले तीन महीनों में अपनी उपलब्धियों का प्रदर्शन करने का तरीका पसंद नहीं आया था.