CJI चंद्रचूड़ की किसने छीन ली थी परिवार की जमीन…

Bureaucrats Magazine – चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ कहते हैं कि बचपन में मैं बहुत शर्मीला था. मेरे टीचर्स ने पैरेंट्स को सलाह दी थी कि मेरा शर्मीलापन दूर करने के लिए घर में डॉग लाएं..

Bureaucrats Magazine – भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) की जिंदगी बहुत दिलचस्प रही है. कोर्ट में हमेशा मुस्कुराते नजर आने वाले जस्टिस चंद्रचूड़ ने बतौर वकील अपने करियर की शुरुआत की थी. फिर बॉम्बे हाईकोर्ट में जज बने. इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की कुर्सी भी संभाली. उनके परिवार का कानून से लंबा नाता रहा है. हालांकि एक वक्त ऐसा भी था, जब परिवार के सामने तमाम मुसीबतें खड़ी हो गई थीं. आइये आपको बताते हैं…

Bureaucrats Magazine – भारतीय अदालतों में पांच करोड़ से ज्यादा केस लंबित हैं। इस वर्ष एक जुलाई तक सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में 69,766 मामले लंबित थे। ऐसे में जजों पर ज्यादा से ज्यादा मामला निपटाने का दबाव रहता है। हालांकि काम के इस दबाव के बीच में भी भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ किताब पढ़ने और कभी-कभी संगीत सुनने का वक्त निकाल लेते हैं।

Bureaucrats Magazine – सीजेआई बनने के बाद जस्टिस चंद्रचूड़ पर काम का बोझ बढ़ा है। लेकिन इससे उनकी नीजि जिंदगी ये बदलाव आया है कि अब वह रात में सोने से पहले तीस पेज नहीं पढ़ पाते, दस पन्ना पढ़कर ही सो जाते हैं। द वीक की अंजुली मथाई को दिए एक इंटरव्यू में चंद्रचूड़ ने इस तरह की और भी बहुत सी बातें बताई हैं।

Bureaucrats Magazine – चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का परिवार मूल रूप से महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले का रहने वाला है. बाद में उनकी परदादी अपने नौ बच्चों के साथ गांव से पूना (अब पुणे) आ गई थीं. वह वक्त बहुत मुश्किल भरा था. परिवार एक-एक पैसे को मोहताज था.The Week को दिये एक इंटरव्यू में चीफ जस्टिस बताते हैं कि मेरी परदादी को अपने गहने तक गिरवी रखने पड़े थे, ताकि बच्चों को पढ़ा-लिखा सकें. मेरे परिवार में शुरू से महिलाएं बहुत मजबूत रही हैं और परिवार को रास्ता दिखाती रही हैं. मैंने अपने पूजा घर में परदादी की तस्वीर लगाई है. (PTI)

Bureaucrats Magazine – जस्टिस चंद्रचूड़ बताते हैं कि हमारे पास थोड़ी जमीन थी, लेकिन साल 1961 में जब महाराष्ट्र में कृषि भूमि (जोत की सीमा) अधिनियम लागू हुआ तो जमीन चली गई. इसके बाद परिवार में सबको कुछ ना कुछ करना था. मेरे पिता ने कानून के पेशे में करियर बनाने का फैसला किया. (Photo- SC Observer)

Bureaucrats Magazine – सीजेआई कहते हैं कि मेरे परदादा भी वकालत करते थे और पिता के चाचा भी वकील थे. पिता वाई वी चंद्रचूड़ मुंबई आ गए और यहां एक चॉल में किराये का कमरा लिया. मुझे आज भी याद है कि मेरी मां अपने कंधे पर कपड़े लेकर चॉल की नल पर धोने जाया करती थीं. वह वक्त बहुत मुश्किल भरा था.जस्टिस चंद्रचूड़ कहते हैं कि बाद में मेरे पिता ने वकालत में अपना मुकाम बनाया और जज की कुर्सी से होते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश की कुर्सी तक पहुंचे. वह चाहते थे कि उनके बच्चे खूब पढ़े-लिखें. इसीलिए मुझे और मेरी बड़ी बहन को इंग्लिश मीडियम स्कूल में भेजा था. (Photo- ANI)

आपको बता दें कि जस्टिस चंद्रचूड़ की चौथी पीढ़ी कानून के पेशे में है. उनके बड़े बेटे अभिनव चंद्रचूड़ बॉम्बे हाईकोर्ट के नामी वकील हैं. छोटे बेटे चिंतन, लंदन की एक लॉ फर्म में काम करते हैं. सीजेआई चंद्रचूड़ की पत्नी कल्पना भी वकील रही हैं.

Bureaucrats Magazine – अपने खाली समय में क्या करते हैं जस्टिस चंद्रचूड़?…………

इस सवाल का जवाब देते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने बताया कि उन्हें संगीत सुनना पसंद है। वह बचपन की तरह अब भी शास्त्रीय संगीत के ही दीवाने हैं। वह भारतीय और पश्चिमी, दोनों तरह के शास्त्रीय संगीत सुनते हैं। वह कभी-कभी रॉक एंड पॉप भी सुन लेते हैं। इस तरह की संगीत में उनके फेवरेट हैं- बॉब डिलन, डायर स्ट्रेट्स और एडेल।

Bureaucrats Magazine – डीवाई चंद्रचूड़ बताते हैं कि उनके फोन में उनकी बेटियां कुछ गाने डाउनलोड कर देती हैं, जिन्हें वह कोर्ट जाते और वापस आते समय सुनते हैं। डीवाई चंद्रचूड़ और उनकी पत्नी कल्पना दास (Kalpana Das) ने दोनों बच्चियों (माही और प्रियंका) को गोद लिया है। दोनों स्पेशल चाइल्ड हैं।

Bureaucrats Magazine – जस्टिस चंद्रचूड़ मानते हैं कि किस तरह का म्यूजिक सुनना है, यह उस वक्त के मूड पर निर्भर करता है। वह कहते हैं, कभी-कभी मुझे बस कोई अच्छा पियानो सुनने का मन करता है। दरअसल, संगीत को लेकर मेरी प्राथमिकताएं मेरे मूड के साथ बदलती हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि मैं अदालत में किस तरह का काम कर रहा हूं। साथ ही उस विशेष क्षण में मेरे निजी जीवन में क्या चल रहा है। कई बार आप ऐसा संगीत सुनना चाहते हैं जो सुखदायक हो, कई बार जब आप ऐसा संगीत सुनना चाहते हैं जो उत्साहवर्धक हो।”

Bureaucrats Magazine – बता दें कि डीवाई चंद्रचूड़ की संगीत में बचपन से रुचि रही। जस्टिस चंद्रचूड़ के माता-पिता ने शास्त्रीय संगीत की तालीम ली थी। खुद चंद्रचूड़ ने भी बचपन में हारमोनियम और तबला बजाना सीखा था। वह इतना अच्छा तबला बजाने लगे थे कि पिता को डर लगने लगा था कि कहीं उनका बेटा तबला वादक न बन जाए। इस बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए

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