नवनीत सहगल प्रशासनिक पद से रिटायर:पॉवर कॉरिडोर में ‘लंबे नारायण’ कहे गए; ‘जनसेवक’ बने रहेंगे…नए रोल में ‘तेवर और फ्लेवर’ बढ़ेगा…

Bureaucrats Magazine – Breaking News –उत्तर प्रदेश के चर्चित और विवादित IAS अफसर नवनीत सहगल आज प्रशासनिक पद से तो रिटायर हो रहे हैं। मगर उनकी क्षमताओं को देखते हुए मौजूदा सत्ताधारी निजाम उन्हें यूं ही खाली बैठने तो नहीं देगा। यूपी में 35 साल की लंबी प्रशासनिक सेवा का फायदा सियासी दल जरूर उठाना चाहेंगे।

#BureaucratsMag -सियासी गलियारों में ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि क्राइसेज मैनेजमेंट में माहिर इस अफसर के कंधों पर 2024 के लोकसभा चुनाव में बड़ी जिम्मेदारी देखने को मिल सकती है।

CA से करियर शुरू किया, ब्यूरोक्रेसी में शीर्ष तक का सफर तय किया
उत्तर प्रदेश की नौकरशाही में हर सरकार में चर्चित रहे 1988 बैच के आईएएस नवनीत सहगल पावर कॉरिडोर में ‘लंबे नारायण’ या ‘लंबू’ के नाम से मशहूर रहे। नवनीत पंजाब में लुधियाना के रहने वाले हैं। IAS बनने से पहले वो चार्टर्ड अकाउंटेंट थे। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर बनने के बाद बैंलसशीट की तरह जिस तरह उन्होंने उत्तर प्रदेश को समझा और काम करके दिखाया ये अपने आप में एक उपलब्धि है।

नवनीत सहगल ने हर सरकार के नवरत्नों की सभा में खास जगह बनाए रखी।

नवनीत सहगल ने हर सरकार के नवरत्नों की सभा में खास जगह बनाए रखी।

Bureaucrats Magazine – Breaking News अखिलेश, मायावती या योगी सरकार, वो नवरत्नों में शामिल रहे
क्राइसेस मैनेजमेंट में माहिर होने की वजह से अलग-अलग विचारधाराओं वाली सरकारों में नवनीत सहगल ने हमेशा सत्ता के साथ कदमताल किया। उनको सौंपे गए हर कार्य को किसी भी कीमत पर कर के दिखाया। मायावती, अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ की सरकार के नवरत्नों की सभा में उनका विशेष स्थान रहा। इन्होंने हमेशा राजा की खुशी के लिए सत्ता का दोहन और प्रदोहन किया। अपने मालिकों(मुख्यमंत्री) का हित साधने के लिए वो हर काम किए जिसे ना करने की एक प्रशासनिक अधिकारी शपथ लेता है।

Bureaucrats Magazine – Breaking News -कुर्सी के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के चलते उनको सोशल मीडिया पर लोग “कटप्पा” भी कहने लगे थे। जो माहिष्मति के सिंहासन का वफादार था। वरिष्ठ पद पर होने के बाद भी पब्लिक सर्वेंट के रूप में नवनीत ने एक अलग पहचान बनाई। जनता उनसे मिलने दूर-दूर से आती थी। आगरा एक्सप्रेस-वे पर भीषण दुर्घटना के बाद अस्पताल में उनको देखने आने वालों का तांता लगा रहता था। जो किसी भी नौकरशाह के कामकाज की शैली को दर्शाने के लिए काफी था।

खेलो इंडिया इवेंट के दौरान राहुल बोस के साथ नवनीत सहगल का डिस्कशन चर्चा में रहा था।

खेलो इंडिया इवेंट के दौरान राहुल बोस के साथ नवनीत सहगल का डिस्कशन चर्चा में रहा था।

सूचना विभाग के प्रमुख सचिव रहने के दौरान लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के भी चहेते रहे, कस्बाई रिपोर्टर से लेकर अखबार और चैनल मालिकों तक से मधुर संबंध बना कर चलने वाले अफसरों में शुमार होते हैं नवनीत सहगल। नेताओं में भी ख़ास लोकप्रियता रही, सही मायने में प्रशासनिक निष्ठुरता के साथ ब्राडिंग और डिलीवरी का सटीक मिश्रण नवनीत सहगल रहे हैं।

आगरा एक्सप्रेस-वे से लेकर कैलाश मानसरोवर यात्रा की दुर्घटना की जिम्मेदारी नवनीत को मिली
लखनऊ में कलेक्टर रहने के दौरान 6 दशक पुराने शिया सुन्नी विवाद को इतिहास के पन्नों में सीमित कर दिया इस अफसर ने, वरना यहां शिया सुन्नी दंगे होना आम बात थी। नवनीत सहगल की न्यायपालिका के साथ कभी भी किसी टकराव की स्थिति नहीं बनी। मायावती की सरकार के दौरान कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान दुर्घटना हुई थी, जिसमें कई लोग मर गए थे। उस वक्त मायावती ने घटनास्थल पर राहत कार्य की जिम्मेदारी इसी अफसर को सौंपी थी। धारचूला में जान जोखिम में डाल कर इस अफसर ने कई जिंदगियों को बचाया था।

पावर कॉरिडोर में एक चर्चा आम थी कि जो विभाग सबसे बेकार, मरा हुआ हो वो नवनीत सहगल को दे दो… कुछ महीनों बाद वो विभाग लहलहाने लग जाएगा। लखनऊ आगरा एक्सप्रेस को रिकार्ड 22 महीने में बनवाने और एअर फोर्स के फाइटर प्लेन को वहां उतारने का श्रेय भी इसी अफसर के नाम जाता है। राम मंदिर पर कोर्ट का फैसला आने के वक्त मायावती ने इस अफसर पर ही सबसे ज्यादा भरोसा किया और वो सही भी निकला, पूरे सूबे में शांति रही, छिटपुट घटना तक नहीं घटी।

खेलों इंडिया को यूपी में प्रमोट करने के पीछे नवनीत सहगल की अहम भूमिका रही है।

खेलों इंडिया को यूपी में प्रमोट करने के पीछे नवनीत सहगल की अहम भूमिका रही है।

अब आपको नवनीत सहगल से जुड़े कुछ विवाद भी पढ़वाते हैं…

ताज कॉरिडोर से लेकर विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोप लगे
नवनीत सहगल के साथ विवादों का भी खासा नाता रहा है। मायावती सरकार में ताज कॉरिडोर मामला हो, लखनऊ में जेल को शिफ्ट करने के लिए सैकड़ों पेड़ काटने को लेकर पर्यावरण मंत्रालय की नाराजगी रही हो। मायावती की सरकार बनाने-गिराने में विधायकों की खरीद-फरोख्त का भी आरोप कई बार नेताओं ने इस अधिकारी पर लगाया।

अखिलेश सरकार में बिजली विभाग में दागी कंपनियों को काम देने का मामला रहा हो। मगर हर इल्जाम से बेदाग निकलते रहे नवनीत सहगल। ब्यूरोक्रेसी में एक पूरी लॉबी उनके खिलाफ लगी रही। मगर किसी तरह का साक्ष्य ना मिलने की वजह से नवनीत सहगल ने 35 साल अपने तरीके से काम किया।

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