महिलाओं के लिए एक मिसाल हैं आईपीएस अधिकारी सोनिया नारंग………..

एक दौर में भारत में महिलाओं को डरी और सहमी हुई छवि थी, जिसे आज की निडर और साहसी महिलाएं खत्म कर चुकी हैं। ऐसी ही भारतीय महिला आईपीएस अधिकारी सोनिया नारंग हैं जो महिलाओं के लिए एक मिसाल हैं। सोनिया की बहादुरी की तारीफ उच्च पुलिस अधिकारियों से लेकर हर नेता करता है। सोनिया नारंग के पिता ए एन नारंग उप पुलिस अधीक्षक थे, और वह भी अपने पिता की तरह समाज सेवा और पुलिस अधिकारी बनना चाहती थीं। यही कारण है कि वह हाईस्कूल पास करने के बाद से ही यूपीएससी की तैयारी में लग गई थीं। बता दें कि सोनिया नारंग का जन्म चंडीगढ़ में हुआ था और वहीं पर वह पली-बढ़ी। सोनिया ने साल 1999 में पंजाब यूनिवर्सिटी से अपने ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की थी। सोनिया हमेशा से ही पढ़ाई में बहुत अच्छी रहीं हैं, उन्होंने सोशियोलॉजी में गोल्ड मेडल भी हासिल किया हुआ है। 
सोनिया साल 2002 बैच की कर्नाटक कैडर की आईपीएस हैं। उनका नाम प्रदेश की सबसे तेज तर्रार आईपीएस अफसरों में लिया जाता है। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कई बड़े शहरों में काम किया है। उन्होंने हमेशा ही बिना डरे, बिना किसी बात की परवाह किए अपनी ड्यूटी पूरी मुस्तैदी से की है। यह उनकी ईमानदारी और काम के प्रति समर्पण भाव का ही नतीजा है कि वह जहां भी गईं वहां से अपराधी भाग खड़े हुए। 
बता दें कि सोनिया नारंग ने उस वक्त काफी सुर्खियों बटोरी थीं जब उन्होंने साल 2006 में भारतीय जनता पार्टी के एक नेता को थप्पड़ मार दिया था। दरअसल एक कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस और बीजेपी के 2 बड़े नेता आपस में भिड़ गए, तब आईपीएस अधिकारी सोनिया नारंग ने भाजपा के नेता रेणुकाचार्य को थप्पड़ मार दिया था।
सोनिया ने अपने कार्यकाल में कई ऐसे अनोखे काम किए हैं जिससे वह हमेशा ही चर्चा का विषय बनी रहीं। जब कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया थे तब आईपीएस अधिकारी सोनिया का नाम 16 करोड़ के खदान घोटाले में आय़ा था, तत्कालीन सीएम ने खुद विधानसभा घोटाले से जुड़े अधिकारियों का नाम उजागर किए थे जिसमें सोनिया नारंग का भी नाम शामिल था, लेकिन सोनिया ने बिना डरे हुए उनको भी चुनौती दे दी। 
उस समय सोनिया ने कहा था, मेरी अंतरात्मा साफ है आप चाहें तो किसी भी तरह की जांच करा लें, मैं इस आरोप का न सिर्फ खंडन करती हूं बल्कि इसका कानूनी तरीके से हर स्तर पर विरोध करूंगी। 
सोनिया को बहुत सारे असंभव कार्यों की जिम्मेदारी दी गई, जिसको उन्होंने बखूबी निभाया। साल 2004 में जब सोनिया गुलबर्ग जिले में पोस्टेड थीं तब उनको वहां पर चुनाव को सही ढंग से कराने की ज़िम्मेदारी दी गई थी जिसको उन्होंने बहुत अच्छी तरह से पूर्ण किया। उस वक्त उस इलाके में आपराधिक गतिविधियां काफी तेज थीं। बेलगाम में जब सांप्रदायिक हिंसा काफी बढ़ी हुई थी, तब भी उन्होंने बेतरीन काम किया था।
आईपीएस सोनिया नारंग का जीवन काफी प्रेरणादायक रहा है इसलिए ही उनके ऊपर जीवन पर आधारित कन्नड़ भाषा में अहिल्या नाम से फिल्म भी बन चुकी है। सोनिया के पति गणेश भी बिहार कैडर के आईएएस हैं, सोनिया और गणेश का एक बेटा ।

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