Mirzapur DM लंदन की शानदार नौकरी छोड़कर भारत लौटकर दिव्या मित्तल आइएएस बनीं और अब मीरजापुर जिले में उनको बतौर जिलाधिकारी नई तैनाती दी गई है। जिले में विंध्यधाम कारिडोर सहित पर्यटन आधारित परियोजनों की निगरानी और विकास उनके लिए बड़ी चुनाती होगी।
मीरजापुर, bureaucrats.in संवाददाता Anuj Gaur। पूर्वांचल के चार जनपदों में तैनात जिलाधिकारियों का शनिवार की देर रात शासन की ओर से तबादला कर दिया गया। तबादला सूची जारी होने के बाद अब सभी के नवीन तैनाती स्थल पर जाॅइनिंग के साथ ही नए आने वाले अधिकारियों की तैनाती की तैयारियां भी संबंधित जिलों में रविवार की सुबह शुरू हो गई है। इनमें मीरजापुर जनपद भी शामिल हैं जहां मीरजापुर में बतौर जिलाधिकारी अब तक तैनात रहे प्रवीन कुमार लक्षकार को पीलीभीत का जिलाधिकारी बनाया गया है। वहीं अब तक संत कबीर नगर में बतौर जिलाधिकारी तैनात रहीं दिव्या मित्तल को मीरजापुर जिले का नया डीएम बनाया गया है।
दिव्या मित्तल ने बताया कि वह सोमवार तक मीरजापुर आ जाएंगी और मंगलवार तक वह चार्ज संभाल लेंगी। बताती हैं कि वह मूलरूप से हरियाणा के रेवाड़ी की निवासी हैं लेकिन उनका जन्म दिल्ली में ही हुआ। उनकी ज्यादातर पढ़ाई भी दिल्ली में ही हुई। 10वीं और 12वीं करने के बाद दिल्ली में ही बीटेक किया और फिर आइआइएम बेंगलुरु से एमबीए की। इसके बाद उनकी शादी हो गई। उनकी और पति गगनदीप सिंह की लंदन में बहुत अच्छे पैकेज पर नौकरी भी लग गई लेकिन देश प्रेम इतना वह वहां ज्यादा दिन तक नहीं रह पाईं। पति-पत्नी ने इस्तीफा देकर लंदन से वापस लौटने का फैसला किया और हुआ भी यही
इसके बाद उन्होंने आइएएस की तैयारी शुरू कर दी। वर्ष 2012 में उनका चयन आइपीएस में हो गया और गुजरात कैडर मिला। आइपीएस की ट्रेनिंग करने के दौरान वर्ष 2013 में उन्होंने फिर आइएएस की परीक्षा दी और सेलेक्शन हो गया। दिव्या के मुताबिक वह इससे पूर्व बरेली विकास प्राधिकरण में उपाध्यक्ष के पद पर भी तैनात रह चुकी हैं। वह बताती हैं कि वह इंजीनियर बनना चाहती थीं।
उनका मानना है कि वह सदैव समाज के लिए सोचती रहीं और आज भी समाज की भलाई के लिए हर स्तर पर कार्य करने से पीछे नहीं हटतीं। वह बताती हैं कि उन्हें आइएएस बनने की प्रेरणा उनके पति गगनदीप सिंह से मिली। भटिंडा के छोटे से कस्बे गिदड़बाग में रहने वाले गगनदीप सिंह भी पढ़ाई में प्रतिभाशाली थे। उन्होंने पंजाब में ही प्रारंभिक पढ़ाई की। इंजीनियरिंग के स्टूडेंट थे, शादी के बाद दिव्या के साथ ही नौकरी ज्वाइन की। गगनदीप इससे पहले सिंगापुर समेत कई जगह नौकरी कर चुके थे।
दिव्या बताती हैं कि विदेशों में पैसा बहुत था लेकिन फिर भी उनकी तरह गगनदीप का भी मन वहां नहीं लगा। उन्हें अपने देश से लगाव बहुत ज्यादा था। उन्होंने उनसे वापस भारत चलने को कहा, अच्छी नौकरी छोड़ने का फैसला करना मुश्किल था। काफी चर्चा के अंत में दोनों ने तय किया कि जो करेंगे अपने देश में ही करेंगे। फिर दोनों ने दिल्ली आकर आइएएस की तैयारी शुरू कर दी। दिव्या बताती हैं कि आइएएस बनने के लिए उन्होंने और गगनदीप ने कभी कोचिंग नहीं की। घर पर ही पढ़ाई की। गगनदीप ने 2011 में आइएएस क्वालीफाई किया और उन्होंने 2013 में। दोनों यूपी कैडर के आइएएस हैं। पति गगनदीप सिंह आइएएस एलाइड में भारत सरकार की सेवा में कानपुर में पोस्टेड हैं।