भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर में वैज्ञानिक रहे हैं मेरठ के नए कप्‍तान रोहित सिंह सजवान….

 मेरठ के नए एसएसपी रोहित सिंह सजवाण मूलरूप से उत्‍तराखंड के नई टिहरी जिले के चाका किराड़ा के निवासी हैं। उनके पिता नई टिहरी जिले के ही उच्च प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक हैं। एसएसपी के तौर पर मेरठ उनका तीसरा जिला है।

भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर में वैज्ञानिक रहे हैं मेरठ के नए कप्‍तान रोहित सिंह सजवान..

मेरठ के नवनियुक्‍त एसएसपी रोहित सिंह सजवाण 2013 बैच के आइपीएस हैं। यहां से पूर्व उनकी तैनाती बरेली में थी। यहां के कप्तान रहे प्रभाकर चौधरी को आगरा की कमान सौंपी गई है।

इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्युनिकेशन से बीटेक हैं रोहित सिंह………………….

एसएसपी रोहित सिंह मूलरूप से उत्‍तराखंड के नई टिहरी जिले के चाका किराड़ा के रहने वाले हैं। उनके पिता राजेंद्र सिंह सजवाण उत्तराखंड के नई टिहरी जिले में उच्च प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक हैं। रोहित सिंह तीन भाइयों में सबसे बड़े हैं। उनकी स्कूली शिक्षा नैनीताल के सरस्वती विहार स्कूल में हुई। वर्ष 2009 में उन्‍होंने इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्युनिकेशन से बीटेक किया। इसके बाद उनका चयन भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर में हुआ था। वहां वह ग्रुप ए विज्ञानी रहे। बाद में पुलिस सेवा में आ गए।

बतौर कप्तान महाराजगंज में हुई पहली तैनाती 

हाल में उत्तराखंड के बसुंगा की रहने वाली एमडी डाक्टर अदिति से उनका विवाह हुआ। बतौर कप्तान उनकी पहली तैनाती महाराजगंज में हुई थी। वहां से वे बरेली गए। बतौर एसएसपी मेरठ उनका तीसरा जिला है। वे गोरखपुर, लखनऊ और मुरादाबाद में एसपी रह चुके हैं। 

वाहनों के कमेले पर लगा रहेगा ताला

मेरठ, जागरण संवाददाता। एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने मेरठ में तैनाती के दौरान शहर को बदनुमा दाग देने वाले सोतीगंज बाजार में वाहनों के कमेले पर ताला डाल दिया था। एसएसपी रोहित सिंह सजवाण ने सोमवार को चार्ज ग्रहण करने के बाद प्रेस कांफ्रेंस में स्‍पष्‍ट किया था कि पूर्व एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने यहां जो प्रभावी कार्य किए हैं, उन्हें आगे बढ़ाया जाएगा। सोतीगंज बाजार में वाहनों का कमेला दोबारा कतई नहीं चलने देंगे। गैंगस्टर में आरोपित कबाड़ियों की संपत्ति के जब्तीकरण का काम जारी रहेगा। पूर्व मंत्री हाजी याकूब और उनके आरोपित बेटों की गिरफ्तारी भी की जाएगी। एसएसपी ने कहा कि फिलहाल सबसे बड़ी प्राथमिकता कांवड़ यात्रा निर्विघ्न संपन्न कराना है, क्योंकि दो साल से कोरोना की वजह से कांवड़ यात्रा नहीं हो पाई है। 

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