पश्चिम बंगाल की परमिता मालाकार ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2023 में सफलता हासिल की है। यूपीएससी को लेकर उनका जुनून, जज्बा और समर्पण अद्भुत है। 29 साल की उम्र में, उन्होंने नौकरी के साथ यूपीएससी की तैयारी करने का फैसला किया। कई असफलताओं के बावजूद, उन्होंने आखिरकार अपनी मंजिल को कैसे हासिल किया, आइए जानते हैं।
परमिता का सफर काफी प्रेरणादायक है। उन्होंने अपनी नौकरी के साथ-साथ तैयारी की, जो आसान नहीं था। उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण ने उन्हें इस मुकाम तक पहुँचाया। कई बार असफल होने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार प्रयास करती रहीं। आखिरकार, उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2023 में सफलता प्राप्त की। परमिता की यह कहानी उन सभी उम्मीदवारों के लिए प्रेरणास्त्रोत है जो नौकरी के साथ यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास करके आईएएस-आईपीएस बनना हजारों लोगों के लिए एक जुनून है. ऐसी ही एक जुनूनी शख्सियत हैं पश्चिम बंगाल की परमिता मालाकार. जिन्होंने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2023 क्रैक किया है. लेकिन इसमें तो करीब एक हजार लोगों ने कामयाबी हासिल की है. फिर परमिता की सफलता में खास क्या है ? परमिता मालाकार की सफलता में खास है उनका उनका जुनून. उन्होंने 12 घंटे की जॉब के साथ यूपीएससी की तैयारी की. कई नौकरियां बदली और अंतत अपने छठवें प्रयास में कामयाबी हासिल करके ही दम लिया.
परमिता मालाकार ने साल 2012 में बीएससी (ऑनर्स) फिजिक्स की डिग्री ली थी. इसके तुरंत बाद उन्होंने अपने परिवार की मदद के लिए एक बीपीओ में नौकरी कर ली. बीपीओ में कुछ महीने जॉब के बाद परमिता ने अपना कॉर्पोरेट करियर शुरू किया. उन्होंने पहले टीसीएस में और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ज्वाइन किया. इसके बाद उन्हें 2020 में उप प्रभागीय सूचना एवं सांस्कृतिक अधिकारी (SDISO) की सरकारी नौकरी मिली.
TCS में नौकरी के साथ शुरू की UPSC की तैयारी
परमिता ने यूपीएससी की तैयारी पहली बार 2018 में टीसीएस की कठिन नौकरी के साथ शुरू की. परमिता ने इंडियन मास्टर माइंड्स को बताया कि टीसीएस में 12 घंटे की जॉब के साथ तैयारी की. पढ़ाई के लिए बहुत सीमित वक्त मिलता था. नतीजन पहले प्रयास में असफल रहीं. इससे वह इतनी निराश हो गईं कि उन्हें सरकारी परीक्षा पास करने की अपनी क्षमता पर ही संदेह होने लगा. लेकिन इस आत्म संदेह ने परमिता को कई सरकारी भर्ती परीक्षाओं में बैठने को प्रेरित किया. जिससे धीरे-धीरे उनका आत्मविश्वास बढ़ा.
30 साल की उम्र में देनी शुरू की सरकारी भर्ती परीक्षाएं
परमिता बताती हैं कि उन्होंने 30 साल की उम्र में एलआईसी, बैंक पीओ, रेलवे और पश्चिम बंगाल लोक सेवा आयोग की विभिन्न भर्ती परीक्षाएं देनी शुरू की. इसी क्रम में साल 2022 में परमिता के जीवन में अहम मोड़ आया जब उन्होंने न सिर्फ एसडीआईसीओ पद हासिल किया बल्कि यूपीएससी सिविल सेवा की प्रीलिम्स और मेन परीक्षा भी पास की. इसके बाद उन्होंने यूपीएससी 2023 में फाइनल सेलेक्शन लिया.
यूपीएससी में ऐसे पाई पहली सफलता
परमिता मालाकार अपनी असफलताओं पर विचार करते हुए कहती हैं कि उनमें एक स्ट्रक्चर्ड अप्रोच की कमी थी. लगातार नौकरियां बदलने से फोकस्ड तरीके से पढ़ाई का समय काफी सीमित हो गया था. उन्होंने यूपीएससी 2022 की तैयारी में पुराने प्रश्न पत्रों को हल करने पर फोकस किया. नतीजा काफी अच्छा रहा. वह पहली बार यूपीएससी प्रीलिम्स कैक करने में सफल रहीं.
मॉक टेस्ट साबित हुआ गेम चेंजर
परमिता बताती हैं कि यूपीएससी की मुख्य परीक्षा के लिए उन्होंने शुरुआत में सेल्फ स्टडी पर भरोसा जताया. लेकिन उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. हालांकि उन्होंने यूपीएससी 2023 की मुख्य परीक्षा के लिए कोलकता में एक कोचिंग संस्थान में दाखिला ले लिया. साथ ही उन्होंने प्रत्येक सप्ताह मॉक टेस्ट दिये. इस तरह उन्होंने कुल 28 मॉक टेस्ट दिये. यह उनके लिए गेम चेंजर साबित हुआ. परमिता यूपीएससी 2023 ऑल इंडिया 812 रैंक से क्रैक करने में सफल रहीं. हालांकि वह यूपीएससी 2024 की भी प्रारंभिक परीक्षा देने वाली हैं.